गुजरात बोर्ड के कक्षा 9 की एक पाठ्य पुस्तक में ईसा मसीह को ‘हैवान‘ लिखने का मामला सामने आया है। इसके कारण राज्य का ईसाई समाज नाराज है और उन्होंने यह शब्द ना हटाए जाने पर आंदोलन की भी धमकी दी है।
दरअसल गुजरात स्टेट स्कूल टेक्स्टबुक बोर्ड(GSSTB) की ओर से प्रकाशित 9वीं कक्षा के हिंदी किताब में भगवान ईसा के एक कथन का उदहारण दिया गया है। लेकिन इसमें ‘भगवान‘ शब्द के बजाए ‘हेवान‘ शब्द छपा हुआ है । इसके कारण विवाद खड़ा हुआ है और सोशल मीडिया में भी इसकी खूब चर्चा हो रही है।
इस गलती की पहचान एक वकील सुब्रह्मण्यम अय्यर ने की। अय्यर ने कहा कि यह किसी की धार्मिक भावना को आहत पहुंचाने का मामला है। बोर्ड द्वारा ऐसी गलती अस्वीकार्य है और सरकार को इसे जल्द से जल्द ठीक कर देना चाहिए। अय्यर ने कहा हो सकता है कि इसके पीछे किसी का कोई गलत इरादा न हो लेकिन यह एक समुदाय और कानून के बीच में विवाद पैदा करता है।
इस बारे में जब GSSTB के चैयरमेन नितिन पैठानी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किताबों में ‘हेवा‘ लिखा जाना था, लेकिन गलती से ‘हेवान‘ लिखा गया। उन्होंने कहा कि ईसा मसीह के दो चेले थे, ‘आदम‘ ईसा और ‘हेवा‘ ईसा, जिनमें से हेवा को किताब में गलती से हैवान छाप दिया गया। यह एक टाइपिंग मिस्टेक है, जिसे जल्द से जल्द हटा लिया जाएगा।
वहीं मामले के सामने आते ही राज्य के शिक्षा मंत्री भूपेंद्र सिंह ने जांच के आदेश दिए। उन्होनें कहा कि बहुत ही जल्द किताबों में हो रही ऐसी गलतियों को सुधार लिया जाएगा। किसी भी धर्म या धार्मिक भावना को चोट पहुंचना हमारा कभी भी मकसद नहीं रहा है, हम सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखते हैं। यह एक ‘टाइपो‘ का मामला है। हम इसमें सुधार करवा रहे हैं।
वहीं ईसाई समुदाय का कहना है कि एक माह पहले ही इस गलती की ओर में सरकार का ध्यान आकर्षित कराया जा चुका है। गुजरात कैथलिक चर्च के प्रवक्ता फादर विनायक जाधव ने बताया कि इस गलती की ओर GSSTB के अध्यक्ष को एक महीने पहले ही बताया जा चुका है। जब इस बाबत हमें बोर्ड की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो हम यह ममाला ‘यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम’ के पास लेकर गए और राज्य के शिक्षा मंत्री से इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की। हालांकि फादर ने कहा कि यह गलत टाइपिंग का मामला ही लग रहा है पर हम इसमें तुरंत सुधार की मांग कर रहे है। उन्होंने सुधार ना किए जाने पर आंदोलन की भी धमकी दी है।
वहीं कुछ हलकों में इसे जान बुझ कर उठाया गया कदम माना जा रहा है। ऐसे लोगों का तर्क है कि गुजरात में सरकारी पुस्तकों का प्रकाशन गुजरात काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (जीसीईआरटी) द्वारा प्रकाशित होता है, जिसकी जिम्मेदारी एक 20 सदस्यों के संपादक और समीक्षक मंडल पर होती है। जिसके बाद भी यह गंभीर गलती होना आश्चर्यजनक है।
गुजरात के अलावा राज्य राजस्थान में भी किताब और पाठ्यक्रम में बदलाव करने का एक मामला सामने आया है। दरअसल राजस्थान स्टेट बोर्ड के 10वीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की किताब में वीर सावरकर को जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी से अधिक वरीयता दी गई है। इस किताब में सावरकर के कार्यों और स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से भी अधिक दिखाया गया है। वहीं किताब में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बस जिक्र भर है। वहीं बोर्ड की 10वीं से 12वीं कक्षा की नई किताबों में समान नागरिक संहिता और प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति को भी शामिल किया गया है। राजस्थान सरकार में शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने इस बदलाव पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि किताबों में सीमित जगह होती है और स्वतंत्रता आंदोलन की प्रत्येक शख्सियत को सभी किताबों में जगह नहीं दी जा सकती।
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