रेल में सफर कर रहे रात्रियों को एक बार फिर से अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है। रेलवे काफी घाटे में चल रहा है जिसके कारण वह रेलवे की टिकट के दाम बढ़ाने का फैसला ले रही है। बताया जा रहा है कि रेलवे के घाटे में 500 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
घाटे के साथ-साथ मुफ्त बीमा देने के बाद रेलवे को अतिरिक्त 40 करोड़ रुपये का घाटा बढ़ा है। इन सबकी वजह रेलवे द्वारा टिकटों की बुकिंग में सर्विस टैक्स न लिया जाना है। रेल मंत्रालय ने बताया कि इस घाटे के संबंध में उन्होंने वित्त मंत्रालय को काफी पत्र भी लिखे हैं। मंत्रालय ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा के बाद रेलवे सेवा कर रहित योजना को पहले ही 30 जून तक बढ़ा दिया गया था। मंत्रालय के अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि यदि वित्त मंत्रालय रेलवे के घाटे के बाद भी इस योजना को कायम रखना चाहता है तो वह जल्द से जल्द घाटा भरने के लिए कदम उठाए। पीएम मोदी द्वारा लागू की गई योजना से पहले आईआरसीटीसी एसी श्रेणी की टिकट पर 40 रुपये और नॉन एसी की टिकट पर 20 रुपये वसूल करता था लेकिन योजना के बाद इसे मुफ्त करना पड़ा। रेलवे का कहना है कि घाटे को भरने के लिए ऐसे कदम उठाए जाएं जिससे रेलवे के घाटे में कम से कम 70% भरपाई हो सके।
रेलवे टिकटों पर लगने वाला कर ही रेलवे के घाटे की भरपाई का एक मुख्य साधन है। रेलवे ने वर्ष 2015-16 में सेवा कर से 256 करोड़ रुपए और वर्ष 2014-15 में 256 करोड़ की कमाई की थी। इसी मामले में रेलवे ने बैकों से मदद की गुहार लगाते हुए ट्रांजेक्शन फीस को कम करने की मांग की है। आईआरसीटीसी को बैंको को पेमेंट गेटवे के रूप में 20 लाख रुपये की अग्रिम राशि रेलवे के पास जमा करनी होगी । इससे पहले यह सीमा 10 लाख रुपए थी।