चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय के सामने ऐसी मांग रखी कि मंत्रालय हैरान रह गया और उसे सोचने का वक्त मांगना पड़ गया। दरअसल, चुनाव आयोग ने कश्मीर घाटी के अनंतनाग में उपचुनाव कराने के लिए गृह मंत्रालय से अर्धसैनिक बलों की 747 कंपनियां मांगी हैं जिसे सुनकर गृह मंत्रालय के होश उड़ गए हैं।
अनंतनाग की संवेदनशीलता को देखते हुए चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से अर्द्धसैनिक बलों के 74000 जवान मांगे हैं। अनंतनाग में चुनाव 25 मई को होना है. चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से कहा है कि उसे 747 कंपनियां चाहिए जो 12 मई तक उसे मिल जानी चाहिए ताकि तैनाती हो सके। एक कंपनी में 100 सुरक्षाकर्मी होते हैं लिहाजा 747 कंपनियों का मतलब है कि करीब 74,000 जवान।
चुनाव आयोग की यह मांग हैरान करने वाली है क्योंकि हाल ही में संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव की सुरक्षा के लिए कुल मिलाकर भी इतने सैनिकों की आवश्यकता नहीं पड़ी थी। आपको जान के ताजुब्ब होगा कि 5 राज्यों में चुनाव करवाने के लिए 70,000 सैनिक तैनात किए गए थे वहीं सिर्फ एक अनंतनाग क्षेत्र में चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग ने 74,000 सुरक्षाकर्मियों की मांग की है। गृह मंत्रालय के मुताबिक़ औसतन संसदीय चुनाव के लिए सैनिकों की 10 कंपनियां तैनात की जाती हैं यानी 1000 सुरक्षा कर्मी तैनात किए जाते हैं।
चुनाव आयोग ने इतनी बड़ी मांग कश्मीर के ताजा हालात और 9 अप्रैल को हुए मतदान के दौरान हुई हिंसा को देखते हुए की है। उल्लेखनीय है कि 9 अप्रैल को कश्मीर में उपचुनाव हो रहे थे और इस दौरान वहां हिंसा हो गई जिसमें करीब 8 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, वहीं इसके चलते वहां केवल 2 प्रतिशत ही वोटिंग हो पाई। इसी हिंसा की वारदातों को देखते हुए अनंतनाग में उपचुनाव टाल दिया गया था।
दूसरी तरफ अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार पहले से ही अड़चन डाल रहीं है। सरकार का कहना है कि घाटी के हालात फिलहाल सामान्य नहीं है इसलिए मई में वहां उपचुनाव ना कराया जाए। वहीं चुनाव आयोग अपने फैसले पर अड़ी हुई है और उनका कहना है कि उपचुनाव 25 मई को ही होंगे। इसी के मद्देनजर चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय से अनंतनाग उपचुनाव के लिए भारी मात्रा में सुरक्षाकर्मियों की मांग की है।