सोशल मीडिया का चलन इन दिनों पूरे उफान पर है। देश और दुनिया की दूरी आज स्मार्टफ़ोन पर घूमने वाली उँगलियों से नापी जा सकती है। व्हाट्स एप्प,फेसबुक के माध्यम से हर जानकारी लोगों तक बड़े आराम से पहुँच रही है। लोग हर पल इससे जुड़े हैं। यह आपसी जानकारियों को साझा करने का एक बेहतरीन जरिया है। लेकिन इससे कभी-कभी अनचाही या जानबूझकर ऐसी गलत और आपत्तिजनक चीजें शेयर कर दी जाती हैं जिससे समाज और सम्प्रदायों में तनाव और द्वेष व्याप्त हो जाता है। इनमे सबसे बड़ा योगदान व्हाट्स एप्प पर शेयर होने वाले फोटो वीडियो और पोस्ट का होता है। जो अलग-अलग ग्रुप के माध्यम से जंगल की आग जैसे फ़ैल जाते हैं।
सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट आपसी सद्भाव को बिगाड़ने के साथ पुलिस प्रशासन के लिए भी चुनौती बन जाते हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन को कई बार इन्टरनेट सेवा तक बंद करानी पड़ती है। लेकिन अब प्रशासन ने व्हाट्स एप्प ग्रुप बनाने और चलने वाले लोगों के लिए दिशा निर्देश जारी किये हैं।इसके तहत अब ग्रुप एडमिन को पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी और ऐसे पोस्ट को शेयर करने वाले के खिलाफ सख्ती बरतनी होगी।
वाराणसी प्रशासन ने इस बाबत आदेश जारी किये हैं। आदेश में प्रशासन ने कहा है कि व्हाट्सएप और फेसबुक ग्रुप में भ्रामक और बिना पुष्टि कर डाली गई वैमनस्यता को बढ़ावा देने वाले पोस्ट के खिलाफ कड़ी कार्यवाई की जाएगी। प्रशासन ने इस मामले में ग्रुप एडमिन और भ्रामक तथ्यों को पोस्ट करने वाले शख्स के खिलाफ कार्यवाई करने का आदेश भी जारी किया है। प्रशासन ने कहा है कि ऐसी भ्रामक ख़बरों को ग्रुप में शेयर करने से रोकने का काम ग्रुप एडमिन करें और ऐसा न होने पर पुलिस की सहायता भी लें। प्रशासन के इस आदेश के बाद ग्रुप बनाने वालों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
वाराणसी से पहले बिहार के भागलपुर में भी प्रशासन ने कुछ दिनों पहले इन चुनौतियों से निपटने के लिए इस तरह का आदेश जारी किया था। जिसके बाद ऐसी भ्रामक खबरों पर बहुत हद तक अंकुश लगाया जा सका था। हालांकि इसको लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े किये गए थे। कुल मिलाकर देखें तो सोशल मीडिया जितनी तेजी से चीजों को प्रचारित और प्रसारित करता है उतना शायद ही कोई अन्य माध्यम कर सके। कई मौकों पर देखा गया है कि असामजिक तत्व इसी बात का फायदा उठाते हैं। कभी कभी लोग अनजाने में ऐसी चीजों पर विश्वास भी कर लेते हैं। जिसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते रहे हैं। ऐसे में प्रशासन का यह फैसला इस तरह की घटनाओं को रोकने में मददगार साबित हो सकता है।