बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील खान को उनकी नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। कफील खान बाल रोग विभाग में बतौर लेक्चरर नियुक्त थे। मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई में कमी के चलते 70 बच्चों की मौत हुई थी। उस समय मीडिया ने बताया था कि कफील खान ने ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए अपना पैसा खर्च किया था, और स्थिति को सुधारने के लिए ओवरटाइम काम किया था। बाद में उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने इस बात से इनकार किया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई मौत हुई।
कफील खान को ड्यूटी में लापरवाही और निजी प्रैक्टिस करने के लिए किया गया था गिरफ्तार
बाद में 13 अगस्त 2017 को, कफील खान को ड्यूटी में लापरवाही और निजी प्रैक्टिस करने के आरोप में इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी नोडल अधिकारी के रूप में हटा दिया गया था और उनके खिलाफ FIR भी दर्ज करायी गयी थी। एक अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
गौरतलब है कि एक आरटीआई के जवाब में, बीआरडी प्रशासन ने स्वीकार किया कि उसे 11 अगस्त 2017 की रात को ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने कहा कि अन्य अस्पतालों और तत्कालीन नोडल से लगभग छह सिलेंडर खरीदे गए थे। कफील खान ने अपने दम पर चार ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की थी।
इसके बाद कफील खान 9 महीने की कैद के बाद जमानत पर रिहा हुए । अदालत ने फैसला सुनाया कि खान की ओर से लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला। खान ने इस घटना को नरसंहार करार दिया और इसके लिए यूपी प्रशासन को दोषी ठहराया। खान ने दावा किया कि उन्हें योगी आदित्यनाथ सरकार ने बलि का बकरा बनाया है।27 सितंबर 2019 को, खान को 2017 गोरखपुर अस्पताल में हुई मौतों के संबंध में सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था।
फिर से गिरफ्तारी और रिहाई
खान को 13 दिसंबर 2019 को उत्तर प्रदेश पुलिस की एक विशेष टास्क फोर्स द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मुंबई में गिरफ्तार किया गया था। ये गिरफ्तारी CAA विरोध के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनके द्वारा दिए गए एक भाषण के चलते की गयी थी। उन्हें अलीगढ़ की एक अदालत ने 10 फरवरी 2020 को जमानत दे दी थी, लेकिन 13 फरवरी 2020 को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
1 सितंबर 2020 को, उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा रिहा कर दिया गया, और उनके खिलाफ NSA के तहत सभी आरोप हटा दिए गए।
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