Narak Chaturdashi 2021: दीपावली (Deepawali) से ठीक एक दिन पहले यानी आज का दिन नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) के रूप में जाना जाता है, जिसे छोटी दिवाली (Choti Diwali) भी कहते हैं। इस दिन यम को दीप दान किया जाता है, जिससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
इन देवताओं की होती है पूजा
इस दिन आयु के देवता यमराज की उपासना की जाती है। नरक चतुर्दशी पर भगवान कृष्ण की उपासना भी की जाती है, क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आज ही के दिन हनुमान जी का जन्म भी हुआ था, इसलिए नरक चतुर्दशी पर बजरंगबली की भी पूजा होती है।
क्या है मान्यता?
क्यों होती है भगवान कृष्ण की पूजा
नरकासुर एक राक्षस था जिसका वध भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से किया था। जिस दिन उन्होंने नरकासुर का संहार किया उस दिन नरक चतुर्दशी ही थी। इसीलिए इस दिन कई जगहों पर भगवान कृष्ण की विशेष आराधना की जाती है।
वध के बाद 16 हजार कन्याओं से हुआ था विवाह
पुराणों का माने तो नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंधक बनाकर रखा था। और उन्हें ही आजाद कराने के लिए भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की मदद ली और नरकासुर का संहार कर दिया। लेकिन बाद में उन लड़कियों के माता-पिता ने उन्हें अस्वीकार कर दिया तो भगवान श्री कृष्ण ने उन सभी सोलह हजार कन्याओं के साथ विवाह किया। और उन्हें समाज में सम्मान दिलवाया। इसीलिए भगवान कृष्ण की 16 हजार पत्नियां व 8 मुख्य पटरानियां हैं।
आज संकटमोच का हुआ था जन्म
हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। मान्यता है नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की पूजा करने से संकटों से मुक्ति मिलती है। आज ही के दिन संकटमोचन बजरंगबली की जन्म हुआ था। इस दिन नारियल को अपने सिर पर सात बार उतारकर हनुमान जी को चढ़ाएं। मान्यता ऐसा करने से जीवन की हर मुश्किल दूर हो जाती है।
रूप चौदस पर करें यम की पूजा
वहीं इस दिन सिर्फ कृष्ण की ही नहीं बल्कि यम देवता की पूजा का भी विधान है। यही कारण है कि इस दिन घर के मुख्य आंगन में या बीचों बीच दीपक जलाकर परिवार के सदस्यों के बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है। इस दिन दीप दान का काफी महत्व होता है।
नरक चतुर्दशी पूजा विधि
कहते हैं इस दिन यम की पूजा की जाए तो अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए इस दिन घर के मुख्य द्वार के बांई ओर अनाज की ढेरी रखें। इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाना चाहिए लेकिन दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर कर दें।
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