सर्वोच्च न्यायालय ने आज राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों के 500 मीटर के भीतर शराब विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगाई गई याचिकाओं पर सुनवाई की। सर्वोच्य न्यायलय में आज की कार्यवाही पूरे देश में विभिन्न राज्यों पर शराब के प्रतिबंध के प्रभाव से संबंधित थी, लेकिन सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पिछले फैसले को सुरक्षित रखते हुए आज की सुनवाई का अंत किया।
सरकार ने अपनी आज की सुनवाई में तीन अहम फैसले सुनाये, जिनमें की पहला है 500 मीटर के दायरे का निम घनी आबादी वाले क्षेत्रों पर लागू होगा, जबकि दुसरी तरफ सरकार ने कम आबादी वाले क्षेत्रों में इस दूरी के दायरे को 500 से घटाकर 220 मीटर कर दिया है। दूसरा सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए चमोली, उत्तकाशी और रूद्रप्रयाग में शाराब की बिक्री पर रोक लगा दी। तीसरा बिहार में लगी शराबबंदी को लेकर स्टाकिस्टों को थोड़ी मोहलत देते हुए कहा कि 31 मई तक शराब के सारे स्टॉक को बिहार से बाहर कर दें।
श्री राजीव धवन ने यह कहकर चर्चा शुरू की कि प्रतिबंध लागू करना असंवैधानिक है क्योंकि राज्य के विशेषाधिकार के अनुसार यह उत्पाद शुल्क कानूनी अधिकार है और हर राज्य की अपनी विशिष्टता है। अदालत उन्हें इस तरह के व्यापक आदेश देकर नहीं निबटा सकती है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि ‘हमने अपने मन में सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ एक निर्णय लिया है और इस संबंध में उत्पाद शुल्क से कानून को कोई फर्क नहीं पड़ता है।
तमिलनाडु राज्य के वरिष्ठ वकील के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि गुजरात एक सूखा राज्य हैं, अर्थात वहां के राजमार्गों पर शराब की दुकानों नहीं है। उसके बावजूद उनके राजमार्गों पर आए दिन दर्जन भर दुर्घटनाओं होती हैं, इसलिए शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाना कोई समाधान नहीं हैं।
पी.पी. राव ने इसके बाद एक और आवेदक की बात को सामने रखते हुए कहा कि किसी भी ड्राइवर को शराब नहीं परोसनी चहिए साथ ही दुकानों को वहां से दुसरी जगह शिफ्ट करने के लिए कुछ और समय की मांग भी की।
इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी विभिन्न राज्यों की दूरी को कम करके कम से कम 500 मील की दूरी तय करने का समर्थन किया, क्योंकि यह ज्यादातर दुकानों को निवास से बाहर ले जाएगा और कुछ देवस्थानों के लिए जगह लेने के लिए मजबूर हो जाएगा।