कर्नाटक की राजनीति में जारी अंदरूनी खींचतान के बीच आज एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुलाकात होने जा रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मंगलवार (2 दिसंबर 2025) की सुबह उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के घर पहुंचे, जहां दोनों नेता नाश्ते पर आमने-सामने बैठकर बातचीत करने वाले हैं। सत्ता साझेदारी को लेकर उठ रही चर्चाओं के बीच इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है।
शिवकुमार ने दी रिश्तों पर सफाई
मीटिंग से पहले डी.के. शिवकुमार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को नाश्ते का न्योता दिया है और दोनों नेताओं के बीच बातचीत हमेशा सहज रहती है। शिवकुमार के मुताबिक, वह और सिद्धारमैया हर तरह की अफवाहों के बावजूद “एक टीम” की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनके संबंधों में किसी तरह की कड़वाहट नहीं है और दोनों नेता आपस में “भाइयों जैसा” जुड़ाव रखते हैं।
हाईकमान की कोशिशों का असर
इससे पहले शनिवार (29 नवंबर 2025) को भी दोनों नेताओं की नाश्ते पर मुलाकात हुई थी, जो कांग्रेस हाईकमान की पहल पर हुई थी। पार्टी नेतृत्व चाहता था कि सरकार के भीतर बढ़ती दूरी को कम किया जाए। उस मुलाकात में दोनों नेताओं ने साफ कहा था कि पार्टी में किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति नहीं होने दी जाएगी और नेतृत्व से जुड़े फैसले हाईकमान के अनुसार ही होंगे। यह आश्वासन ऐसे समय में दिया गया था जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं जोरों पर थीं।
नए बैठक का संकेत
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आज की मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि दिल्ली नेतृत्व की रणनीति का हिस्सा है। बेलगावी में विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है और उससे पहले पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि सरकार के भीतर सबकुछ सामान्य है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस पूरी कवायद से यह संकेत मिलता है कि फिलहाल सिद्धारमैया की कुर्सी सुरक्षित है और नेतृत्व परिवर्तन से जुड़ी अटकलें धीमी पड़ सकती हैं।
मीडिया के सवालों पर शिवकुमार की नाराज़गी
गुटबाजी की खबरों पर पूछे जा रहे लगातार सवालों से शिवकुमार नाराज़ भी दिखे। उन्होंने कहा कि मीडिया ही दो गुटों की कहानी गढ़ रहा है, जबकि पार्टी के भीतर ऐसा कोई विवाद नहीं है। उनका कहना था कि उनके साथ 140 विधायक खड़े हैं और कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है। उन्होंने यह भी इशारा किया कि पिछली मुलाकात भी मीडिया में चल रही चर्चाओं की वजह से ही हुई थी।
सुरेश की गतिविधियों पर चर्चाएं
इधर, शिवकुमार के भाई और पूर्व सांसद डी.के. सुरेश भी हाल ही में दिल्ली दौरे से लौटे हैं। उन्होंने कहा कि उनका दौरा पूरी तरह निजी था और सरकार बिना किसी दिक्कत के चल रही है। नेतृत्व परिवर्तन पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कोई खुली टिप्पणी नहीं की, बस इतना कहा कि सही समय आने पर हाईकमान ही निर्णय लेगा और सबके सामने स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
आधे कार्यकाल पर बढ़ी हलचल
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने नवंबर में अपने पांच वर्ष के कार्यकाल का आधा हिस्सा पूरा कर लिया है। इसके साथ ही “ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले” की चर्चा फिर तेज हो गई। कई मंत्रियों और विधायकों के बयान सामने आए, जिससे यह संकेत मिला कि नेतृत्व बदलाव की मांग बढ़ रही है। ऐसे में हाईकमान लगातार कोशिश कर रहा है कि सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच एकजुटता का संदेश दिया जाए और सरकार स्थिर बनी रहे।









