बॉम्बे हाईकोर्ट : रिलायंस पर अवैध गैस निष्कर्षण मामले में CBI और केंद्र को नोटिस

0
0

By: सर्वजीत सोनी | मुंबई

बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके चेयरमैन मुकेश अंबानी पर लगाए गए अवैध गैस निष्कर्षण के आरोपों पर CBI और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

यह याचिका जितेंद्र पी. मारू नाम के व्यक्ति ने दायर की है। उनका आरोप है कि 2004 से 2013–14 के बीच रिलायंस ने कृष्णा–गोदावरी बेसिन में ONGC के गैस ब्लॉक्स से बिना अनुमति गैस निकाली। दावा है कि रिलायंस के डीप-सी वेल इस तरह बनाए गए थे कि ONGC के ब्लॉक की गैस RIL के KG-D6 ब्लॉक में बहकर चली जाए। मारू ने इसे “बड़ा संगठित घोटाला” बताया है और आपराधिक जांच की मांग की है।

4 नवंबर 2025 को जस्टिस ए.एस. गडकरी और जस्टिस राणजितसिंह भोंसले की पीठ ने नोटिस जारी किया और CBI व केंद्र से 18 नवंबर 2025 तक अपना पक्ष बताने को कहा है। याचिकाकर्ता ने चोरी, ग़बन और विश्वासघात जैसे आरोपों में FIR दर्ज करने की मांग की है। साथ ही CBI से सभी दस्तावेज़ — कॉन्ट्रैक्ट, ड्रिलिंग डेटा, सरकारी रिपोर्टें और स्वतंत्र एजेंसियों की स्टडी — जब्त करने का आग्रह किया है।

2013 में पहली बार सामने आए थे संदेह ONGC ने सरकार को बताया था कि उनके ब्लॉक और RIL के ब्लॉक के बीच रेज़र्वॉयर जियो-कनेक्टेड हैं। सरकार ने DeGolyer & MacNaughton (D&M) को स्वतंत्र जांच सौंपी, जिसमें पाया गया कि ONGC के ब्लॉक की गैस RIL के प्रोडक्शन वेल्स में गई।

पूर्व जज ए.पी. शाह की समिति ने भी इस रिपोर्ट की पुष्टि की और गैस के मूल्य का अनुमान 1.55 बिलियन डॉलर से अधिक लगाया, जिस पर 174.9 मिलियन डॉलर का ब्याज बनता है।

रिलायंस का दावा- RIL का कहना है कि गैस स्वाभाविक रूप से बहकर आई थी और यह कोई आपराधिक मामला नहीं, बल्कि पुराना सिविल और आर्बिट्रेशन विवाद है। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट फरवरी 2025 में अंतरराष्ट्रीय आर्बिट्रल अवॉर्ड को रद्द कर चुका है, यह कहते हुए कि वह “भारत की सार्वजनिक नीति के खिलाफ” है।

मारू का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा का गैस प्रवाह सिर्फ़ तकनीकी विवाद नहीं हो सकता, इसलिए आपराधिक जांच अनिवार्य है।हाईकोर्ट के नोटिस के बाद अब CBI को तय करना होगा कि क्या वह इस मामले में FIR दर्ज करके जांच शुरू करेगी।