लद्दाख के जाने-माने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे एंग्मो ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) लगातार उनका पीछा कर रहे हैं और यहां तक कि जोधपुर जेल में पति से मुलाकात के दौरान भी उन्हें निगरानी में रखा गया।
एंग्मो ने कहा कि यह सब उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह कार्रवाई एक शांतिपूर्ण सामाजिक कार्यकर्ता को डराने की कोशिश है।
हलफनामे में लगाए गए मुख्य आरोप
🔹 लगातार निगरानी का दावा
गीतांजलि एंग्मो ने आरोप लगाया कि सितंबर के अंत से ही दिल्ली में उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि 30 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद से उनके आसपास अज्ञात व्यक्तियों की मौजूदगी महसूस हो रही है, जो संभवतः खुफिया एजेंसियों से जुड़े हैं।
🔹जोधपुर जेल में निगरानी
एंग्मो ने बताया कि जब वह जोधपुर जेल में सोनम वांगचुक से मिलने गईं, तो वहां उनकी बातचीत की भी निगरानी की गई। उन्होंने कहा, “पुलिस ने हमारी मुलाकात पर पाबंदियां लगाईं और बातचीत के दौरान एक अधिकारी को वहीं बैठा दिया गया, जिससे यह साफ था कि हमारी निजी बातचीत भी सुनी जा रही थी।”
🔹मौलिक अधिकारों का हनन
उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन व निजता के अधिकार का उल्लंघन है। “मैं एक नागरिक के रूप में अपनी निजता और स्वतंत्रता की रक्षा की मांग करती हूँ,” उन्होंने हलफनामे में लिखा।
वांगचुक की गिरफ्तारी और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
बता दें कि सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख से गिरफ्तार किया गया था। वर्तमान में उन्हें जोधपुर जेल में निरोधात्मक हिरासत (Preventive Detention) में रखा गया है।
उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में इस हिरासत को चुनौती देते हुए कहा, “वांगचुक की गिरफ्तारी का राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह एक सम्मानित पर्यावरणविद् और सामाजिक सुधारक को चुप कराने की साजिश है।”
पृष्ठभूमि: लद्दाख में आंदोलन के बाद गिरफ्तारी
वांगचुक को हाल ही में लद्दाख में स्थानीय मुद्दों और पर्यावरणीय असंतुलन को लेकर किए गए धरने के बाद गिरफ्तार किया गया था। यह भी बताते चलें कि इस दौरान केंद्रशासित प्रदेश में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हुई थी।
जिसके बाद वांगचुक पर जन व्यवस्था भंग करने के आरोप में कार्रवाई की गई थी, लेकिन उनके समर्थकों का कहना है कि यह सरकार की दमनकारी कार्रवाई है।
सुप्रीम कोर्ट आने वाले दिनों में इस मामले पर सुनवाई कर सकता है।