महाराष्ट्र में ऐतिहासिक क्षण: 61 माओवादी सदस्यों ने किया आत्मसमर्पण, गडचिरोली में शांति और विकास की नई शुरुआत

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By: सर्वजीत सोनी | Edited By: उमेश चंद्र

Maharashtra News: महाराष्ट्र में आज का दिन राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और यादगार क्षण के रूप में दर्ज हो गया है। देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय गृहमंत्री माननीय अमित शाह जी के नेतृत्व में देशभर में नक्सलवाद के खात्मे के लिए जो व्यापक मुहिम चलाई जा रही है, उसका प्रभाव अब महाराष्ट्र में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

इस राष्ट्रीय मुहिम के अंतर्गत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री माननीय देवेंद्र फडणवीस जी के दृढ़ नेतृत्व और प्रशासन की प्रभावी रणनीति के चलते एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। मुख्यमंत्री फडणवीस की उपस्थिति में 61 वरिष्ठ माओवादी सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया है। ये सभी लंबे समय से नक्सल गतिविधियों में शामिल थे और इन पर कुल ₹5.24 करोड़ का इनाम घोषित था।

आत्मसमर्पण करने वाले इन माओवादियों में कई कुख्यात कमांडर, डिविजनल कमिटी सदस्य और संगठन के सक्रिय कैडर शामिल हैं, जिन्होंने वर्षों तक गडचिरोली, गोंदिया, भंडारा और चंद्रपुर जिलों में हिंसक गतिविधियां चलाई थीं। मगर अब उन्होंने शांति, विकास और समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस अवसर पर कहा कि, “हिंसा का रास्ता किसी का भला नहीं करता। सरकार की यह नीति है कि जो हथियार छोड़कर शांति का मार्ग अपनाएगा, उसे समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर दिया जाएगा।” उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को सरकार की पुनर्वसन योजनाओं का लाभ देने का आश्वासन भी दिया।

इस आत्मसमर्पण को गडचिरोली और आसपास के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और स्थायित्व की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों और राज्य पुलिस ने लगातार प्रयासों के जरिए नक्सलियों तक संवाद पहुंचाया और उन्हें यह भरोसा दिलाया कि सरकार उनके पुनर्वास के लिए पूरी तरह तैयार है।

राज्य सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी व्यक्तियों को पुनर्वास, शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार के क्षेत्र में हरसंभव सहायता दी जाएगी, ताकि वे समाज में सम्मान के साथ नई शुरुआत कर सकें।

इस ऐतिहासिक आत्मसमर्पण से न केवल राज्य में शांति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, बल्कि यह संदेश भी गया है कि विकास, संवाद और विश्वास के जरिये ही नक्सलवाद जैसी समस्या का स्थायी समाधान संभव है।