बिहार में सीट बंटवारे की जंग: एनडीए और महागठबंधन दोनों में जारी पेंच, कौन मानेगा समझौता?

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बिहार में सीट बंटवारे की जंग
बिहार में सीट बंटवारे की जंग

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर सियासी हलचल तेज है। चाहे एनडीए की बात करें या महागठबंधन की, दोनों ही खेमों में बातचीत अपने निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है, लेकिन सहमति अभी तक नहीं बन पाई है।

एनडीए के भीतर सूत्रों के मुताबिक इस बार जेडीयू, बीजेपी से एक सीट ज्यादा लड़ेगी। अनुमान है कि जेडीयू करीब 100 सीटों पर दांव लगाएगी। पिछली बार जेडीयू ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में सहयोगी दलों—लोजपा (रामविलास), हम और आरएलडी—के लिए लगभग 40 सीटें बचती हैं। इनमें से चिराग पासवान को 20–25 सीटों का ऑफर मिलने की संभावना जताई जा रही है, जबकि बाकी सीटें जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के बीच बांटी जाएंगी।

मगर असली अड़चन चिराग पासवान को लेकर है। पांच सांसदों के बल पर चिराग 30 सीटों की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं, उनके प्रशांत किशोर से संवाद की चर्चा भी सियासी गलियारों में गर्म है। अब सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान बिहार में अधिक सीटों के लिए केंद्र में अपने मंत्री पद को दांव पर लगाएंगे? चिराग की नजर विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन पर है, क्योंकि एनडीए की सत्ता वापसी की रणनीति में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है।

वहीं, महागठबंधन की स्थिति भी कुछ आसान नहीं। यहां सहयोगी दलों की संख्या 6 से बढ़कर 8 होने जा रही है। आरजेडी, कांग्रेस, माले, सीपीआई, सीपीएम और वीआईपी के साथ अब जेएमएम और पशुपति पारस की पार्टी भी जुड़ने वाली है। लेकिन समस्या यह है कि सीटें सीमित हैं। आरजेडी करीब 125 सीटों पर लड़ना चाहती है, जबकि कांग्रेस 62–64 सीटों की मांग पर अड़ी है। पिछली बार आरजेडी 144 और कांग्रेस 70 सीटों पर उतरी थी।

इस बार कांग्रेस सीटों की संख्या से ज्यादा सीटों की क्वालिटी पर फोकस कर रही है। यही वजह है कि कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव को महागठबंधन का सीएम चेहरा घोषित करने में झिझक दिखाई है। पार्टी चाहती है कि पहले सीट बंटवारे पर अंतिम समझौता हो, फिर नेतृत्व की घोषणा की जाए।

इधर, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी डिप्टी सीएम पद की मांग पर अड़े हैं। वे 60 सीटें मांग रहे हैं, हालांकि बातचीत में लचीलापन दिखाने की बात भी कर चुके हैं। सहनी का कहना है कि महागठबंधन को सीएम के साथ डिप्टी सीएम का चेहरा भी घोषित करना चाहिए। 2020 में एनडीए के साथ रहते हुए उन्होंने 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 4 पर जीत हासिल की थी।

माले भी इस बार अपनी पिछली कामयाबी के आधार पर ज्यादा सीटों की मांग कर रही है। पिछली बार उसने 19 सीटों पर लड़कर 12 सीटें जीती थीं। सीपीआई और सीपीएम, जिन्हें 6 और 4 सीटें दी गई थीं, दो-दो सीटों पर विजयी रहीं—इस बार भी उन्हें लगभग इतनी ही सीटें मिलने की संभावना है।

जेएमएम और पशुपति पारस की पार्टी को भी 3–4 सीटें देने की चर्चा है। कुल मिलाकर, दोनों ही गठबंधन में खींचतान जारी है। हालांकि, राजनीतिक हलकों में उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में सियासी समीकरण साफ हो जाएंगे और सीटों का बंटवारा तय हो जाएगा।