निमिषा प्रिया की फांसी अब तय? सुप्रीम कोर्ट में सरकार का जवाब सुनकर टूटी उम्मीदें

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निमिषा प्रिया की फांसी पर अब नहीं बची कोई उम्मीद? सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने रखी अंतिम स्थिति
निमिषा प्रिया की फांसी पर अब नहीं बची कोई उम्मीद? सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने रखी अंतिम स्थिति

यमन की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी अब बेहद नाजुक मोड़ पर आ चुकी है। उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप है, और 16 जुलाई को उनकी फांसी की तारीख तय की गई है। भारत में केरल से लेकर दिल्ली तक उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश हो रही है, लेकिन अब केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए जवाब से हालात और भी गंभीर नज़र आ रहे हैं।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया कि वह अपनी तरफ से जो कर सकती थी, वह कर चुकी है। सरकार की ओर से कहा गया, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन सरकार की भूमिका की भी एक सीमा है।” अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में यमनी परिवार द्वारा ‘ब्लड मनी’ (रक्त धन) को स्वीकार किया जाना ही एकमात्र रास्ता बचा है।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्लड मनी से जुड़ा मामला पूरी तरह व्यक्तिगत होता है और इसमें भारत सरकार की सीधी भूमिका नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, “हमने यथासंभव प्रयास किया, लेकिन बहुत अधिक सार्वजनिक हुए बिना ही।”

जज की पहल पर भी सरकार की असमर्थता

सुनवाई के दौरान जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या भारत सरकार उस ब्लड मनी राशि को लेकर यमनी परिवार से बात करने की कोशिश कर सकती है, तो केंद्र ने जवाब दिया कि ये प्रयास उनकी क्षमता से बाहर है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि रियाद स्थित भारतीय दूतावास इस मामले को देख रहा है और वे चाहते हैं कि सरकार का कोई प्रतिनिधि जाकर यमनी परिवार से सीधे बात करे। उन्होंने यहां तक कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वे और अधिक मुआवजा देने को तैयार हैं।

क्या है पूरा मामला?

निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं, साल 2020 में यमन की अदालत द्वारा एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई थीं। घटना जुलाई 2017 की है, जिसमें उस व्यक्ति की हत्या का आरोप लगा जो उनका बिज़नेस पार्टनर था। नवंबर 2023 में यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने उनकी अंतिम अपील भी खारिज कर दी थी। इसके बाद अब 16 जुलाई को उनकी फांसी की तारीख तय कर दी गई है। अब जब भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी सीमाएं स्पष्ट कर दी हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है कि निमिषा को बचाने की आखिरी उम्मीद भी अब मद्धम हो चुकी है।