गुजरात: आप विधायक उमेश मकवाणा ने सभी पदों से दिया इस्तीफा, सेवा कार्यों में कमी को बताया कारण

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आप विधायक उमेश मकवाणा ने सभी पदों से दिया इस्तीफा
आप विधायक उमेश मकवाणा ने सभी पदों से दिया इस्तीफा

गुजरात में आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है। बोटाद से विधायक उमेश मकवाणा ने पार्टी के भीतर अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने त्यागपत्र में उल्लेख किया है कि सामाजिक सेवा कार्यों में वे पहले जितनी सक्रियता नहीं दिखा पा रहे हैं, यही वजह है कि वे अब पार्टी की जिम्मेदारियों से मुक्त होना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के साथ जुड़े रहेंगे।

अपने पत्र में उमेश मकवाणा ने लिखा कि वे बीते ढाई वर्षों से आम आदमी पार्टी में राष्ट्रीय संयुक्त सचिव की भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन अब उन्हें महसूस हो रहा है कि उनके सामाजिक सरोकार पीछे छूट रहे हैं। इसलिए वे पार्टी पदों से हटना चाहते हैं और अनुरोध करते हैं कि उन्हें इन दायित्वों से मुक्त किया जाए।

पार्टी नेतृत्व से नाराजगी की अटकलें तेज

सूत्रों की मानें तो उमेश मकवाणा पार्टी से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने सहयोगी विधायकों के फोन कॉल्स का जवाब देना भी बंद कर दिया है, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि उनके पार्टी से संबंध सहज नहीं हैं। गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है जब उनके इस्तीफे की चर्चा हुई हो। इससे पहले भी उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें सामने आ चुकी हैं, हालांकि तब उन्होंने मीडिया के सामने आकर इन बातों का खंडन किया था। लेकिन हाल के महीनों में पार्टी के आयोजनों से उनकी लगातार अनुपस्थिति ने इन चर्चाओं को फिर हवा दे दी है।

लोकसभा चुनाव में भी रहे उम्मीदवार

उमेश मकवाणा 2022 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान बोटाद से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को मात दी थी। इसके बाद पार्टी ने उन्हें भावनगर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे हार गए। इस चुनाव के बाद से पार्टी नेतृत्व के साथ उनके रिश्तों में खटास आने लगी थी, जो अब इस्तीफे के रूप में सामने आ गई है।

आप की विधानसभा में घट सकती है ताकत

गुजरात में फिलहाल आम आदमी पार्टी के कुल पांच विधायक हैं। यदि उमेश मकवाणा अपना इस्तीफा वापस नहीं लेते और पार्टी से किनारा कर लेते हैं, तो विधानसभा में AAP की संख्या घटकर चार रह जाएगी। यह स्थिति पार्टी के लिए चिंताजनक हो सकती है, खासकर तब जब वह राज्य में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के प्रयास में जुटी है।