चीन की पाबंदियों से ऑटो सेक्टर में हलचल, सुज़ुकी ने स्विफ्ट का प्रोडक्शन अस्थायी रूप से रोका

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चीन की पाबंदियों से ऑटो सेक्टर में हलचल
चीन की पाबंदियों से ऑटो सेक्टर में हलचल

दुनियाभर में मशहूर जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी सुज़ुकी मोटर ने अपनी लोकप्रिय कार स्विफ्ट का निर्माण अस्थायी रूप से रोकने का फैसला किया है। इसके पीछे मुख्य वजह है चीन द्वारा रेयर अर्थ मैटेरियल्स के निर्यात पर लगाई गई पाबंदियां। यह फैसला ऑटोमोबाइल सेक्टर और खासकर ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है।

स्विफ्ट के प्रोडक्शन पर क्यों लगी रोक?

चीन के फैसले के चलते जरूरी कंपोनेंट्स की आपूर्ति बाधित हो गई है। इन कंपोनेंट्स में रेयर अर्थ मैटेरियल्स का इस्तेमाल होता है। इसी कारण सुज़ुकी को 26 मई से 6 जून तक जापान में स्विफ्ट कार (स्पोर्ट मॉडल को छोड़कर) का उत्पादन रोकना पड़ा है। हालांकि यह रुकावट फिलहाल अस्थायी है, लेकिन इससे बाजार में स्विफ्ट की उपलब्धता पर असर पड़ सकता है।

भारत में स्विफ्ट की जबरदस्त मांग है। यह कार मारुति सुज़ुकी के पोर्टफोलियो की सबसे ज़्यादा बिकने वाली गाड़ियों में से एक है, जिसकी सालाना बिक्री 1.5 से 2 लाख यूनिट्स के बीच रहती है। जापान समेत अन्य देशों में भी इसकी भारी डिमांड है।

चीन ने क्यों लगाई पाबंदी?

चीन ने जिन महत्वपूर्ण तत्वों के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई है, उनमें सैमेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डायसप्रोसियम, ल्युटेशियम, स्कैंडियम और येट्रियम शामिल हैं। ये तत्व न केवल ऑटो सेक्टर बल्कि सेमीकंडक्टर और डिफेंस इंडस्ट्री में भी अहम भूमिका निभाते हैं। दुनिया के 70% रेयर अर्थ तत्वों और करीब 90% रेयर अर्थ मैग्नेट का उत्पादन चीन में होता है। इनका उपयोग इलेक्ट्रिक मोटर, स्मार्टफोन्स, बैटरियों और अत्याधुनिक उपकरणों में होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के चलते लिया गया रणनीतिक निर्णय है, जिससे वह वैश्विक सप्लाई चेन पर दबाव बना सके।

ईवी सेक्टर पर असर?

अगर यह पाबंदियां लंबे समय तक बनी रहीं तो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) की लागत में इज़ाफा हो सकता है। साथ ही, प्रोडक्शन में देरी, डिलीवरी स्लो डाउन और कीमतों में बढ़ोतरी जैसे कई असर देखने को मिल सकते हैं, जिससे ईवी की डिमांड भी प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्षतः, चीन के निर्यात प्रतिबंध ने न केवल ऑटोमोबाइल सेक्टर बल्कि वैश्विक उद्योगों में चिंता बढ़ा दी है। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला तो इसका प्रभाव ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग और उपभोक्ताओं दोनों पर पड़ेगा।