जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव गहराया है। इस बीच, पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से बंद कमरे में एक आपात बैठक बुलाने की मांग की। लेकिन यह बैठक, पाकिस्तान के लिए उलटी पड़ गई।
भारत विरोधी एजेंडे पर मिला करारा जवाब
पाकिस्तान ने इस बैठक का उपयोग एक बार फिर भारत के खिलाफ झूठ फैलाने और कश्मीर मुद्दे को उछालने के लिए किया, लेकिन UNSC के सदस्य देशों ने उसकी बयानबाज़ी पर सवाल उठाए। सुरक्षा परिषद ने पाकिस्तान की तथाकथित ‘False Flag’ यानी झूठे झंडे वाली थ्योरी को सिरे से खारिज कर दिया। बैठक में कोई निर्णायक फैसला नहीं हुआ, और पाकिस्तान का उद्देश्य अधूरा रह गया।
लश्कर-ए-तैयबा कनेक्शन पर UNSC की सख्ती
बैठक में पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका को लेकर पाकिस्तान से स्पष्ट जवाब मांगा गया। UNSC के कई सदस्य देशों ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए इसे धार्मिक आस्था के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाए जाने की साजिश करार दिया और जवाबदेही तय करने की बात पर जोर दिया।
परमाणु धमकी पर भी चिंता
कुछ देशों ने पाकिस्तान द्वारा मिसाइल परीक्षण और परमाणु युद्ध की धमकियों पर भी चिंता जाहिर की। उन्हें यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि ऐसे बयान क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाते हैं।
‘झूठे झंडे’ की थ्योरी क्या है?
‘False Flag’ यानी झूठे झंडे की रणनीति का मतलब होता है, कोई हमला खुद करवाना और फिर उसका दोष किसी और पर डालना। आतंकवाद से जुड़े मामलों में इस शब्द का इस्तेमाल तब होता है जब कोई देश खुद घटना को अंजाम देकर दूसरे देश पर आरोप लगाने की कोशिश करता है। पाकिस्तान ने UNSC में इसी थ्योरी के जरिए भारत को बदनाम करने की कोशिश की, जो सफल नहीं हो पाई।
बातचीत की सलाह और अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश फेल
UNSC की बैठक का इस्तेमाल पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ माहौल बनाने और मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए किया, लेकिन इसमें उसे सफलता नहीं मिली। सभी सदस्य देशों ने साफ कहा कि भारत और पाकिस्तान को अपने मुद्दे आपसी बातचीत से सुलझाने चाहिए, न कि उन्हें वैश्विक मंच पर ले जाने की कोशिश करनी चाहिए।