National Constitution Day 2024: आज है संविधान दिवस, जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्व

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National Constitution Day 2024
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संवैधानिक मूल्यों के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। आज देशभर में संविधान दिवस मनाया जा रहा है। 26 नवंबर का अपना अलग ही महत्व है, क्योंकि इसी दिन 1949 में भारत का संविधान अपनाया गया था और 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था। यह दिन नए युग की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। संविधान दिवस के मौके पर देशभर में संविधान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं। चलिए जानते हैं इस दिन से जुड़े कुछ रोचक सवालों के जबाब…

जानते हैं पहली बार संविधान दिवस कब मनाया गया?

जानकारी के अनुसार, हमारे देश में हर साल संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है। 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के बाद संविधान की जब आवश्यकता हुई तब साल 1949 में भारत का संविधान अपनाया गया था। बता दें, संविधान तैयार करने में दो वर्ष, 11 माह और 18 दिन का वक्त लगा। भारत का गणराज्य का संविधान 26 जनवरी 1949 को बनकर तैयार हो गया था लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया और इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में हर साल मनाया जाता है।

भारत के संविधान से जुड़ी कुछ रोचक बातें…

  • भारतीय संविधान देश के नागरिकों को कई मौलिक अधिकार देता है। जैसे कि धर्म की स्वतंत्रता, समानता का अधिकार आदि, संविधान में कुछ मूल कर्तव्य आदि।
  • भारतीय संविधान में शुरुआत में 395 अनुच्छेद थे, लेकिन वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 448 अनुच्छेद हैं, इन अनुच्छेदों में देश की राजनीति, न्याय व्यवस्था, नागरिक अधिकारों और कर्तव्यों से जुड़े विभिन्न प्रावधान शामिल हैं।
  • संविधान दिवस हमें हमारे संविधान के महत्व को समझने और इसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है।
  • संविधान दिवस को 2015 से मनाना शुरू किया गया था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को मनाने की घोषणा की, यह घोषणा भारतीय संविधान के 125वें वर्ष के अवसर पर की गई थी।

संविधान का निर्माण किसने किया

भारतीय संविधान को डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान निर्माण समिति ने लिखा था, डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का “मुख्य वास्तुकार” माना जाता है। उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। संविधान सभा में 389 सदस्य थे और डॉ. राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष थे।