शेख हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से दिया इस्तीफा, सत्ता संभालेगी सेना

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शेख हसीना ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और सेना सत्ता संभालने जा रही है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान ने मीडिया से कहा कि सेना अंतरिम सरकार बनाएगी और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से शांति के रास्ते पर लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा, “देश में संकट है। मैंने विपक्षी नेताओं से मुलाकात की है और हमने इस देश को चलाने के लिए अंतरिम सरकार बनाने का फैसला किया है। मैं आपकी जान-माल की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और वादा करता हूं। आपकी मांगें पूरी की जाएंगी। कृपया हमारा समर्थन करें और हिंसा रोकें। अगर आप हमारे साथ मिलकर काम करेंगे, तो हम उचित समाधान की ओर बढ़ सकते हैं। हिंसा के जरिए हम कुछ हासिल नहीं कर सकते।”

दरअसल बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इस बीच उन्होंने राजधानी ढाका छोड़ दी है। वह और उनकी बहन प्रधानमंत्री आवास छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हजारों प्रदर्शनकारियों ने कर्फ्यू का उल्लंघन किया, राजधानी की सड़कों पर मार्च किया और प्रधानमंत्री के घर में घुस गए। ढाका में बख्तरबंद वाहनों के साथ सैनिकों और पुलिस ने पीएम कार्यालय तक जाने वाले मार्गों को कंटीले तारों से घेर दिया था लेकिन सड़कों पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी और रुकावटों को तोड़ दिया गया।

कल हुए भीषण संघर्ष में 98 लोगों के मारे जाने के बाद अब तक विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 300 से अधिक हो गई है। सिविल सेवा नौकरी कोटा के खिलाफ़ पिछले महीने शुरू हुए प्रदर्शन प्रधानमंत्री हसीना के 15 साल के शासन के सबसे बुरे दौर में बदल गए हैं । पूरे बांग्लादेश में एक व्यापक सरकार विरोधी आंदोलन चल रहा है। इसने बांग्लादेश के समाज के सभी वर्गों के लोगों को आकर्षित किया है, जिसमें फ़िल्म स्टार, संगीतकार और गायक भी शामिल हैं।

इन विरोध प्रदर्शनों की जड़ें विवादास्पद कोटा प्रणाली में हैं। जो कि बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक का आरक्षण देती हैं। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री हसीना की अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को फायदा पहुंचाती है। वे मौजूदा कोटा को बदलने के लिए योग्यता आधारित प्रणाली की मांग कर रहे हैं।

कोटा प्रणाली लगातार विवादस्पद रही है। आलोचकों का दावा है कि यह अवामी लीग के समर्थकों को अनुचित रूप से लाभ पहुँचाती है और अन्य योग्य उम्मीदवारों के लिए अवसरों को सीमित करती है। प्रधानमंत्री हसीना की सार्वजनिक टिप्पणियों ने स्थिति को और भड़का दिया, जिससे विरोध प्रदर्शन और तेज़ हो गए। प्रधानमंत्री हसीना पर सत्ता को मजबूत करने और असहमति को दबाने के भी आरोप हैं। हाल की हिंसा बांग्लादेशी जनता के बीच बढ़ते असंतोष और बदलाव की मांग को उजागर करती है।

देश के 39 जिलों में नेताओं के घरों, 20 अवामी लीग कार्यालयों, पुलिस स्टेशनों और अन्य सरकारी संस्थानों पर हमला किया गया, तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। कई जिलों में प्रदर्शनकारियों और अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं के बीच झड़पें हुई हैं। कम से कम 14 अलग-अलग स्थानों पर सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों, राज्य मंत्रियों, सांसदों और अवामी लीग नेताओं के आवासों और कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई है।

इस अशांति के जवाब में, सरकार ने रविवार शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की। सोमवार से तीन दिवसीय सामान्य अवकाश की भी घोषणा की गई। इसके अतिरिक्त, सरकार ने इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी हैं। प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया है और असहयोग कर रहे हैं। जिससे देश भर में हिंसा बढ़ गई है। पुलिस स्टेशन और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालय निशाना बने हैं। सिराजगंज में तेरह पुलिसकर्मियों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और दो सांसदों के घरों में आग लगा दी गई।

अशांति केवल ढाका तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में फैल गई है। मुंसीगंज के केंद्रीय जिले में प्रदर्शनकारियों, पुलिस और सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच तीन-तरफा झड़प के दौरान दो लोगों की मौत हो गई और 30 घायल हो गए। पबना, फेनी, लक्ष्मीपुर, नरसिंगडी, रंगपुर, मगुरा और अन्य जिलों में झड़पों के चलते कई हताहत हुए हैं। ढाका में एक अस्पताल में तोड़फोड़ की गई और चार कपड़ा कारखानों में आग लगा दी गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाओं को बंद करने के सरकार के फैसले ने अराजकता को और बढ़ा दिया है।