BUDGET 2024 : रेल बजट पहले केन्द्रीय बजट से अलग क्यों पेश होता था? मोदी सरकार ने क्यों बदली 92 साल पुरानी परंपरा…

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BUDGET 2024 : सोमवार, 22 जुलाई, 2024 से संसद में बजट सत्र शुरू होने जा रहा है। 23 जुलाई को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगीं। आम बजट यानी केन्द्रीय बजट के साथ-साथ रेलवे से जुड़ी घोषणाएं भी की जाएंगी यानी रेलवे का बजट भी पेश होगा। हालांकि, कुछ ही वर्षों पहले तक आम बजट और रेल बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। बता दें कि साल 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल और केन्द्रीय बजट एकसाथ पेश किया था यानी वित्त वर्ष 2017-18 में एक ही बजट पेश हुआ था। जिसके बाद 92 वर्षों से चली आ रही परंपरा पर विराम लग गया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 1924 में पहली बार रेल बजट को केन्द्रीय बजट से अलग पेश किया गया था। ऐसा, एकवर्थ समिति की सिफारिशों के बाद किया गया था।

HISTORY OF RAIL BUDGET : किसने किया दोनों बजट का विलय?

वित्तीय वर्ष 2016-17 तक 2 बजट पेश होते थे। आम बजट पेश होने से कुछ दिन पहले रेल बजट संसद में पेश किया जाता था। जानकारी के मुताबिक, आजाद भारत के पहले बजट की बात करें तो 1947 में देश के पहले रेल मंत्री जॉन मथाई ने तब रेल बजट पेश किया था। इसके बाद जॉन माथाई आगे चलकर नेहरू सरकार में वित्त मंत्री (22 सितंबर, 1946 से 1 जून 1950) भी रहे और दो आम बजट भी पेश किए। इसके बाद नवंबर 2016 में, रेल मंत्रालय ने घोषणा की कि रेल बजट को अब केंद्र बजट मिलाया जाएगा। इस निर्णय का आधार नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों, और श्री देबरॉय और किशोर देसाई द्वारा ‘रेलवे बजट से मुक्ति’ पर एक अलग रिसर्च पेपर था।

BUDGET 2024 : क्यों किया गया था विलय, क्या था उद्देश्य?

  • रेल बजट का आम बजट में विलय कैसे हुआ, अगर इसकी बात करें तो फाइनेंस मिनिस्ट्री भारतीय रेलवे के लिए अनुमानों सहित एकल विनियोग विधेयक तैयार करेगा जिसे संसद में पेश किया जाएगा। फाइनेंस मिनिस्ट्री ही इससे जुड़े सभी विधायी कार्यों को भी संभालेगा।
  • विलय होने से भारतीय रेलवे को केंद्र सरकार को लाभांश देने से छूट मिलेगी और कैपिटल चार्ज यानी पूंजी प्रभार समाप्त हो जाएगा।
  • विलय से रेलवे को अपने पूंजीगत व्यय के हिस्से को कवर करने में फाइनेंस मिनिस्ट्री की मदद हासिल हुई होगी।
  • इसके अलावा, विलय का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार के वित्त की पूरी जानकारी देना और रेलवे राजमार्गों और जलमार्गों के मध्य परिवहन योजना में सुधार लाना था।
  • इसने फाइनेंस मिनिस्ट्री को मध्य-वर्ष समीक्षा के दौरान संसाधनों के आवंटन में लचीलापन भी दिया।