Rajasthan के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasara) अपने अनोखे और विवादित बयानों के लिए लगातार सुर्खियों में हैं। राजस्थान की अशोक गहलोत की सरकार के लिए खासे परेशानी का सबब साबित हो रहे शित्रा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा अद्भुद बयानवीर हैं।
मंत्री जी कभी तो महिला शिक्षिकाओं के प्रति विवादास्पद ज्ञान देते हैं और कभी देश के राष्ट्रपिता के विषय में। ताजा बयान में मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ही अपने बयान के लपेटे में ले लिया है।
गांधी जी साल 2015 में अफ्रीका से भारत लौटे
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के ताजा बयान के मुताबिक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साल 2015 में दक्षिण अफ्रीका से भारत वापसी की है। शित्रा मंत्री कह रहे हैं कि सावरकर जी (विनायक दामोदर सावरकर) ने साल 2011 और 2013 में माफीनाम लिखा और महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से साल 2015 में भारत आये और उसके बाद वो राजनीति में उतरे थे और स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हुए।
हालांकि शिक्षा मंत्री जी को तुरंत अपनी भूल का सुधार हुआ और उन्होंने ऐतिहासिक तथ्यों को तुरंत सही भी कर लिया लेकिन सवाल तो खड़ा होता है कि आखिर प्रदेश का शिक्षा मंत्री इस तरह का बयान कैसे दे सकता है। बतौर शिक्षा मंत्री उनसे इस तरह के बयान की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं
शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं और इनकी गिनती पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में होती है। इससे पहले भी हास्यास्पद बयान से गहलोत सरकार की भद्द पिटवा चुके शिक्षा मंत्री डोटासरा ने महिलाओं के खिलाफ भी विवादित बयान दिया था।
उन्होंने कहा है कि स्कूलों में महिला स्टाफ के कारण पुरुष शिक्षकों को ‘सैरीडॉन’ खानी पड़ती है। शिक्षा मंत्री अपने बयानों को लेकर कई बार सुर्खियों में रहे हैं। उन्होंने यह विवादित बयान अंतरराष्ट्रीय बालिक दिवस के अवसर पर दिया है।
महिला शिक्षिकाओं पर दिया था विवादित बयान
शिक्षा मंत्री ने कहा था कि आप लोगों के आपस में झगड़े भी बहुत हैं, जहां महिला शिक्षिकाएं स्कूलों में हैं उन स्कूलों की प्रिंसिपल सेरिडॉन की दवाई लेती हैं। उस स्कूल में कभी देरी से तो कभी ज़ल्दी आने पर झगड़े होते हैं। अगर आप इन्हें ठीक कर लें तो हमेशा ही आप खुद को पुरुष से 21 मानेंगी।
सरकार ने नीति ही ऐसी बना दी है कि महिलाएं पहले। चयन, प्रमोशन में हम सब जगह उनकी काउंसलिंग करके महिलाओं को प्राथमिकता देते हैं। विभाग में कुछ लोग कहते हैं कि क्या हम अच्छा नहीं पढ़ाते?
इससे पहले कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री का एक बयान भी काफी चर्चाओं में रहा था। उन्होंने कहा था कि आधुनिक भारतीय महिलाएं बच्चों को जन्म नहीं देना चाहती है। वो या तो कुवांरा रहना चाहती है या शादी के बाद भी बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है। मंत्री ने कहा था कि हमारी सोच में बदलाव सही नहीं है।
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