दिल्ली-एनसीआर को जहरीली धुंध की मोटी परत ने अपनी आगोश में ले लिया है। इस सीजन में पहली बार हवा की गुणवत्ता गिरकर ‘सीवियर प्लस’ श्रेणी में पहुंच गई है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्कूल दो दिनों के लिए बंद कर दिए गए हैं और कमर्शियल चार पहिया वाहनों और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध सहित सभी आपातकालीन उपाय जल्द ही शुरू किए जा सकते हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, आज सुबह 8 बजे दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 346 था। दिल्ली के लोधी रोड, जहांगीरपुरी, आरके पुरम और आईजीआई एयरपोर्ट (टी3) इलाकों में हवा की गुणवत्ता गंभीर बनी हुई है, जहां एक्यूआई रीडिंग क्रमश: 438, 491, 486 और 473 रही। निगरानी फर्म IQAir के अनुसार, शुक्रवार को, सबसे खतरनाक PM2.5 कणों का स्तर लगभग 35 गुना अधिक था। ये कण इतने छोटे हैं कि वे आपके रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं।
हालांकि प्रदूषण के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिसमें मुख्य रूप से वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और कम हवा की गति शामिल हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अध्ययन के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों से, दिल्ली की सर्दियां खतरनाक धुंध की मोटी परत का पर्याय होकर रह गई हैं। अब तो जैसे हर साल 1-15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है।
इस बार आंकड़ों से पता चलता है कि पंजाब में पराली जलाने में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य में रविवार को 1,068 खेतों में आग लगने की घटनाओं के साथ 740 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। मौसम विभाग ने कहा है कि पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के कारण अगले दो दिनों तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कोई सुधार होने की उम्मीद नहीं है।
पिछले साल, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने एक अध्ययन में निष्कर्ष निकाला था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पीएम 2.5 के स्तर में वाहनों के उत्सर्जन का लगभग 51 प्रतिशत योगदान है। उद्योगों और निर्माण गतिविधियों का योगदान क्रमशः 11 और 7 प्रतिशत है।
मौसम विज्ञानियों ने यह भी कहा है कि बारिश न होने के कारण दिल्ली में 2020 के बाद से इस साल अक्टूबर में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है। दिल्ली सरकार ने सर्दियों के मौसम के दौरान वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पिछले महीने 15-सूत्रीय कार्य योजना शुरू की है। जिसमें धूल प्रदूषण, वाहन उत्सर्जन और खुले में कचरा जलाने पर रोक शामिल है।