रेशू त्यागी, एपीएन न्यूज | नई दिल्ली: अन्तर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की छठी असेंबली का आयोजन 31 अक्टूबर, 2023 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में किया गया। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय ऊर्जा और नवीन व नवीनीकरण ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने की। असेंबली में 20 देशों के मंत्रियों और 116 सदस्य तथा हस्ताक्षरकर्ता देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
असेंबली में देश को परियोजना के हिसाब से मिलने वाला अनुदान लागत का 10 फीसद से बढ़ाकर 35 फीसद किए जाने पर सहमति बनी। असेंबली में विकासशील देशों में मिनी ग्रिड, वाटर पंप व कोल्ड स्टोरेज के लिए सोलराइजेशन पर जोर भी दिया गया। इस मौके पर बोलते हुए सत्र अध्यक्ष राजकुमार सिंह ने कहा “वैश्विक आबादी का 80% उन स्थानों पर निवास करता है जहां जीवाश्म ईंधन आयात किया जाता है। इस तरह की आबादी करीब 6 अरब की है। रिन्यूएबल एनर्जी स्रोत इतने सक्षम हैं कि 2030 तक कुल ऊर्जा जरूरत के 65 फीसद की आपूर्ति कर सकते हैं, वहीं 2050 तक ऊर्जा क्षेत्र 90 फीसद तक डीकार्बोनाइज हो जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि इस दिशा में, आईएसए अपने वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) तंत्र के माध्यम से प्रति देश प्रति परियोजना 150,000 अमेरिकी डॉलर या परियोजना लागत का 10% (जो भी कम हो) का अनुदान प्रदान करता है। असेंबली ने देशों और उनकी संबंधित परियोजनाओं की क्षमता और जरूरतों के आधार पर सीमा को परियोजना लागत के 35% तक बढ़ाने का निर्णय लिया।
असेम्बली की सह-अध्यक्ष और फ्रांस के विकास, फ्रैंकोफोनी व अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी राज्य मंत्री क्रिसौला ज़ाचारोपोलू ने कहा फ्रांसीसी विकास एजेंसी (एएफडी) के माध्यम से, हमने 2016 से 1.5 बिलियन यूरो से अधिक मूल्य की सौर परियोजनाओं को वित्तपोषित किया है, फ्रांस इसमें तेजी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले साल, हमने अपने भागीदारों को जलवायु वित्त में 7.5 बिलियन यूरो से अधिक प्रदान किया।
बता दें, सत्र को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने भी संबोधित किया। इस मौके पर अध्यक्ष ने कई देशों के सोलराइजेशन प्रोजेक्ट का उद्घाटन भी किया।
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