सिर्फ 20 मिनट में इजरायल पर 5 हजार रॉकेट दागकर फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास सुर्खियों में आ गया है। हमास के हमले और इजरायल की जवाबी कार्रवाई में अब तक 500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यहां हम आपको बताएंगे कि आखिर ये हमास है क्या?
हमास की शुरुआत कैसे हुई
हमास की स्थापना 1987 में पहले फिलिस्तीनी इंतिफादा (विद्रोह) के बाद अहमद यासीन और अब्देल अजीज अल-रंतीसी ने की थी। 1987 से पहले यह मुस्लिम ब्रदरहुड का हिस्सा था। हमास का पूरा नाम हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया है, जिसका अर्थ है इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन। वहीं सिर्फ ‘हमास’ का अर्थ है उत्साह। 1988 में, हमास ने बताया कि उसका मकसद फिलिस्तीन को आज़ाद कराना और इज़रायल, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी तक फैले इलाके में एक इस्लामी हुकूमत लाना है।
बाद के सालों में, संगठन ने कहा है कि अगर इज़रायल 1967 से पहले की सीमाओं पर पीछे हट जाता है, मुआवज़ा देता है और फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों को लौटने की अनुमति देता है तो वह युद्धविराम को स्वीकार कर लेगा। उसने यह भी कहा है कि वह मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ अपने संबंध खत्म कर देगा। हालाँकि, इज़रायल ने हमास के दावों को खारिज कर दिया है और उस पर “दुनिया को बेवकूफ बनाने” की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
याद दिला दें कि 1967 में इजरायल ने मिस्र, सीरिया और जॉर्डन को एक यु्द्ध में हराया था, जिसे 6 डे वॉर के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद से गोलान की पहाड़ियों, वेस्ट बैंक,गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप पर इजरायल का कब्जा हो गया था। हमास की एक सांस्कृतिक शाखा, दावा और एक सैन्य शाखा, इज़्ज़ अद-दीन अल-क़सम ब्रिगेड है।
हमास को ईरान का समर्थन प्राप्त है और यह ईरान, सीरिया और लेबनान में इस्लामी समूह हिजबुल्लाह वाले एक गुट का हिस्सा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि शनिवार को हमास के हमले इजरायल के सामने फिलिस्तीनियों के आत्मविश्वास का सबूत है। हमास के फिलिस्तीन क्षेत्रों और मध्य पूर्व के अन्य देशों में समर्थक हैं। क्षेत्र में, ईरान, सीरिया और यमन ने हमलों पर हमास का समर्थन किया है। कतर ने इस स्थिति के लिए पूरी तरह से इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है। अरब लीग और जॉर्डन ने भी, इज़राइल की नीतियों और वर्तमान संघर्ष से इसके संबंध पर टिप्पणी की है। मिस्र, मोरक्को और सऊदी अरब ने संयम बरतने का आह्वान किया है।
आपको बता दें कि विश्व स्तर पर, हमास को इज़रायल, अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, मिस्र और जापान एक आतंकी संगठन मानते हैं।
हमास बनाम फतह
फिलिस्तीन के मुद्दे पर हमास के सामने आ जाने के बाद उसका सीधा मुकाबला फतह से होने लगा था। फतह की स्थापना और नेतृत्व यासर अराफात ने किया था। 1990 के दशक में एक अर्धसैनिक संगठन के रूप में स्थापित फतह ने बाद में सशस्त्र प्रतिरोध छोड़ दिया और इजरायल के साथ 1967 की सीमाओं के अनुसार फिलिस्तीन बनाने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का समर्थन किया।
2004 में अराफात की मृत्यु ने एक शून्य पैदा कर दिया जिसके बीच हमास मजबूत होकर उभरा। 2007 में, फतह के साथ गृहयुद्ध के बाद हमास ने गाजा पर नियंत्रण कर लिया। तब से, हमास ने गाजा पट्टी पर नियंत्रण बनाए रखा है, जबकि फतह के पास वेस्ट बैंक में सत्ता है। जहां हमास खुद को इस्लामवादी बताता है, वहीं फतह धर्मनिरपेक्षता की वकालत करता है।
दोनों पक्षों का इज़रायल को लेकर नजरिया भी जुदा है। हमास इजरायल को मान्यता नहीं देता। जहां हमास ने सशस्त्र प्रतिरोध का आह्वान किया है, वहीं फतह ने कोई रास्ता निकालने के लिए बातचीत पर जोर दिया है। पिछले कुछ दशकों से दोनों सेनाओं के बीच लगातार युद्ध चल रहा है। संघर्ष को सुलझाने के लिए किए गए कई समझौते खत्म हो गए हैं।