Russia Cancer Vaccine: रूस ने कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता हासिल की है। रूसी वैज्ञानिकों ने mRNA तकनीक पर आधारित एक नई कैंसर वैक्सीन विकसित करने का दावा किया है। इस वैक्सीन को 2025 से रूस सरकार अपने नागरिकों को मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। इस वैक्सीन को रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर द्वारा विकसित किया गया है। इस रिसर्च सेंटर के जनरल डायरेक्टर एंड्री काप्रिन के मुताबिक, इस वैक्सीन का उद्देश्य ट्यूमर के विकास को रोकना और कैंसर के फैलाव (मेटास्टेसिस) को नियंत्रित करने का होगा और शोध मेनी ये उसमें सक्षम पाई गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वैक्सीन शरीर की कोशिकाओं को एक विशेष प्रोटीन बनाने का निर्देश देती है, जो कैंसर कोशिकाओं से जुड़कर प्रतिरक्षा प्रणाली को उन्हें पहचानने और नष्ट करने में मदद करती है। दरअसल, इस तकनीक का उपयोग इससे पहले कोरोना माहमारी के दौरान कोविड-19 टीकों में किया गया था, जिसे अब कैंसर को रोकने और उसके इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है।
साल के शुरुआत में पुतिन ने दिया था अपडेट
फरवरी 2024 के महीने में पुतिन ने बयान दिया था कि “हम तथाकथित कैंसर के टीके और नई पीढ़ी की इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाओं के निर्माण के बहुत करीब आ गए हैं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इन्हें व्यक्तिगत चिकित्सा के तरीकों के रूप में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाएगा।”
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह वैक्सीन किस प्रकार के कैंसर के लिए प्रभावी होगी। साथ ही, वैक्सीन का नाम भी अभी सामने नहीं आया है। रूस के इस कदम से अन्य देशों में भी कैंसर उपचार के प्रयासों को तेजी मिलेगी। बता दें कि रूस की तरह ही कई देशों में कैंसर वैक्सीन पर काम चल रहा है, जैसे यूनाइटेड किंगडम (यूके) और अमेरिका में कंपनियां त्वचा कैंसर (Skin Cancer) के इलाज के लिए वैक्सीन विकसित कर रही हैं। इसी साल मई के महीने में फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चार कैंसर के मरीजों पर एक व्यक्तिगत वैक्सीन का परीक्षण किया था।
कैंसर की ये वैक्सीन मौजूद
वर्तमान में कैंसर रोकथाम के लिए एचपीवी (Human papillomavirus) और एचबीवी (Hepatitis B virus) के खिलाफ वैक्सीन्स उपलब्ध हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ये टीके सर्वाइकल और लिवर कैंसर को रोकने में प्रभावी हैं।
साल 2025 में यदि रूस सरकार अपने नागरिकों को यह वैक्सीन लगाती है और यह प्रभावी साबित होती है, तो यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी खोज में से एक बन सकती है।