कनाडा में भारत के पूर्व उच्चायुक्त और लेखक विकास स्वरूप ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर दंडात्मक टैरिफ लगाने के पीछे एक कारण यह है कि वे पाकिस्तान के साथ मई में हुए सैन्य संघर्ष के बाद शांति समझौते में अपनी कथित भूमिका को भारत द्वारा नज़रअंदाज़ किए जाने से नाराज़ हैं। स्वरूप ने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच मौजूदा संबंध अल्पकालिक और सामरिक हैं, जो आर्थिक हितों से प्रेरित हैं, जबकि अमेरिका-भारत के रिश्ते रणनीतिक हैं।
टैरिफ के कारण
स्वरूप के अनुसार, ट्रंप भारत से नाखुश हैं क्योंकि भारत BRICS का सदस्य है और ट्रंप को लगता है कि यह संगठन डॉलर के विकल्प के रूप में नई मुद्रा बनाने के इरादे से बना एक “अमेरिका विरोधी” गठबंधन है। दूसरा कारण मई में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम में ट्रंप को श्रेय न देने का है। भारत का मानना रहा है कि संघर्ष विराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी, जबकि यह सीधे दोनों देशों की सेनाओं के बीच पाकिस्तान के अनुरोध पर हुआ।
ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान को युद्ध के कगार से वापस खींचा और परमाणु टकराव रोका, लेकिन भारत ने इसे स्वीकार नहीं किया, जबकि पाकिस्तान ने न केवल मान्यता दी बल्कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया।
ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी दबाव
स्वरूप ने बताया कि मई की शुरुआत में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ढांचे पर सटीक हमले किए। इसके बाद पाकिस्तानी हमलों को विफल किया और उनके हवाई ठिकानों पर भी प्रहार किया।
व्यापार वार्ता में भारत ने अमेरिका की मांगों — कृषि, डेयरी और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों तक अधिक पहुंच — को मानने से इनकार कर दिया है। स्वरूप ने कहा कि टैरिफ लगाना ट्रंप का दबाव बनाने का तरीका है, जो रूस पर भी लागू है क्योंकि वे पुतिन को यूक्रेन संघर्षविराम के लिए राज़ी नहीं करा पाए हैं।
नोबेल की ख्वाहिश और ‘शांतिदूत’ छवि
स्वरूप ने कहा कि ट्रंप खुद को ‘पीसमेकर’ के रूप में पेश करना चाहते हैं और थाईलैंड-कंबोडिया, रवांडा-कांगो, आर्मेनिया-अज़रबैजान जैसे विवादों में भी खुद को मध्यस्थ के रूप में पेश किया है। उनके मुताबिक, ट्रंप के लिए भारत-पाकिस्तान विवाद सबसे बड़ा है क्योंकि दोनों परमाणु संपन्न देश हैं। ट्रंप चाहते हैं कि वे बराक ओबामा से एक कदम आगे बढ़कर नोबेल शांति पुरस्कार जीतें, खासकर अगर वे रूस-यूक्रेन युद्ध में संघर्षविराम करवा दें।
पाकिस्तान से अमेरिकी नज़दीकी
स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान ने लॉबिंग और रणनीतिक संचार के जरिए अमेरिका में अपनी पहुंच बढ़ाई है। आसीम मुनीर की अमेरिका यात्राएं, तेल भंडार पर कथित सौदा और पाकिस्तान का बिटकॉइन माइनिंग हब बनने का प्रयास इसके उदाहरण हैं। इसमें ट्रंप परिवार और उनके सहयोगियों की हिस्सेदारी वाली वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “इसका मतलब यह नहीं कि ट्रंप ने भारत को छोड़ दिया है। यह सिर्फ एक अनुकूल सौदा पाने के लिए दबाव की रणनीति है। भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर समझौता नहीं करना चाहिए।”
अमेरिका-भारत बनाम अमेरिका-पाकिस्तान संबंध
स्वरूप के अनुसार, अमेरिका-पाकिस्तान संबंध फिलहाल अल्पकालिक और आर्थिक लाभ पर आधारित हैं, जबकि अमेरिका-भारत संबंध अधिक रणनीतिक हैं और इतने लेन-देन आधारित नहीं। उन्होंने इसे “तूफ़ान” बताया, जो समय के साथ गुजर जाएगा।
‘टैरिफ किंग’ अमेरिका
स्वरूप ने कहा, “अमेरिका ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहा, लेकिन आज असली ‘टैरिफ किंग’ अमेरिका है। भारत का औसत टैरिफ 15.98% है, जबकि अमेरिका का 18.4% है। ये टैरिफ अंततः अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महंगाई बढ़ाएंगे।”
उन्होंने चेताया कि दबाव में झुकने से मांगें और बढ़ेंगी, इसलिए भारत का रुख सही है। जुलाई में ट्रंप ने भारतीय सामान पर 25% टैरिफ और एक अनिर्दिष्ट जुर्माना लगाया, और कुछ दिन बाद रूसी तेल आयात के चलते इसे 50% तक बढ़ा दिया, जबकि एक अंतरिम भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीद थी।