पाकिस्तान आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा के एक ब्यान ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है। दरअसल शुक्रवार को आर्मी चीफ जावेद ने पाकिस्तान के मदरसों पर सवाल उठाते हुए एक विवादित ब्यान दिया, उनका कहना था- पाकिस्तान में बहुत तेजी से मदरसों की संख्या में इजाफा हो रहा हैं, जिनमें लगभग 25 लाख मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं। देश में मस्जिद से ज्यादा मदरसे हैं, ऐसे में इनमें पढ़ने वाले हर बच्चे को नौकरी दिलाना संभव नहीं हैं। क्योंकि किसी भी हालत में पाकिस्तान में इतनी मस्जिद नहीं बनाई जा सकती, कि मस्जिद में पढ़ने वाले हर बच्चे को नौकरी दी जा सके। परिणामस्वरुप इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चें या तो मौलवी बनेंगे या फिर आतंकवादी।
चीफ के इस बयान को गलत नहीं ठहराया जा सकता। पिछले कई सालों से पाकिस्तानी विश्व के विभिन्न देशों में घुसकर आतंकवाद फैला रहे हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान की जनता के आतंकवादी बनने के लिए मदरसे में दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा जिम्मेदार हैं।
धार्मिक ज्ञान काफी नहीं: चीफ
इन मदरसों में बच्चों को सिर्फ इस्लामिक शिक्षा दी जाती हैं, ऐसी तालीम बच्चों के लिए फायदेमंद साबित नहीं होगी। ऐसा इसलिए हैं, क्योंकि इस्लामिक शिक्षा से बच्चों को सिर्फ धर्म का ज्ञान मिलता हैं। मदरसों में मिलने वाली शिक्षा से बच्चे सिर्फ मस्जिद में काम करने के काबिल बनते हैं, अब देश में इतनी मस्जिदों का निर्माण नहीं किया जा सकता, जिससें हर बच्चे को नौकरी दी जा सके। बेरोजगारी की स्थिति में ऐसे युवा आतंकवाद का रास्ता अपनाने लगते हैं, जो पाकिस्तान और इस दुनिया के भविष्य के लिए अच्छी बात नहीं हैं।
गैर-कानूनी मदरसे हैं आतंकवाद के जिम्मेदार
चीफ ने साथ ही ये भी कहा- ऐसा नहीं हैं कि मदरसे में सिर्फ आतंकवाद के उसूल सिखाएं जाते हैं या फिर अन्य धर्मों से बेर-भाव करना सिखाया जाता हैं। लेकिन पाकिस्तान में रजिस्टर्ड मदरसों की संख्या करीब 20 हजार हैं, जबकि हजारों मदरसे आज भी बिना रजिस्ट्रेशन के चलाए जा रहे हैं। इन गैर-कानूनी मदरसों में ही बच्चों के दिल में जहर घोलने का काम किया जाता हैं। बच्चे नादान होते हैं, जो आसानी से बातो में आकर आतंकवाद का रास्ता अपना लेते हैं।
चीफ ने कहा-मदरसों की शिक्षा प्रणाली पर विचार करने की जरूरत हैं। बच्चों के जीवन से किए जा रहे खिलवाड़ को कतई बर्दाश्त नही किया जा सकता।