जैसा कि सभी जानते हैं कि चीन में तानाशाही पार्टी का राज है। ऐसे में यहां राष्ट्रवाद के नाम पर किसी से कुछ भी करवा लिया जाता है। यहां मुसलमानों के साथ भी कुछ ऐसा ही रहा है। दरअसल, चीन के उइगर मुसलमानों पर पाबंदियों का दायरा बढ़ता ही जा रहा है। अब पश्चिमी चीन में सैकड़ों मुस्लिमों के बदलाव के नाम पर ट्रेनिंग कैंप लगाया जा रहा है। एक विशाल बिल्डिंग के बाहर लाल बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में चीनी भाषा सीखने, कानून की पढ़ाई करने और जॉब प्रशिक्षण के लिए तैयार होने के निर्देश हैं। ये कैंप उइगर मुसलमानों को चीन की सरकार और वहां की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादार बनाने के लिए खोले गए हैं। इसमें अल्पसंख्यक मुसलमानों को जबरदस्ती पकड़कर लाया जा रहा है और कम से कम दो महीने तक रखा जा रहा है।
चीन के इस कदम से दुनिया भर में उसकी आलोचना हो रही है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं को कहना है कि सरकार उइगर मुसलमानों की सांस्कृतिक पहचान को खत्म करने के लिए उन पर जबरन अत्याचार कर रही है। कहा जा रहा है कि माओ के शासनकाल के बाद विचार परिवर्तन और चीन की सरकार के प्रति वफादारी के लिए इतना व्यापक अभियान पहली बार हो रहा है। बिल्डिंग के अंदर हर रोज घंटों लंबी क्लास होती हैं, जिनमें उइगर मुस्लिमों को लाया जाता है। मुस्लिमों को चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के समर्थन में गीत गाना, चीन की राजनैतिक विचारधार पर भाषण दिए जाते हैं। मुस्लिमों को अपने ही समुदाय के लिए आलोचनात्मक लेख लिखने के लिए कहा जाता है।
बताया जा रहा है कि इस प्रशिक्षण का मकसद मुसलमानों में अपने ही धर्म के प्रति आस्था को खत्म करना और चीन के प्रति वफादार बनाना है। चीन में करीब 2.3 करोड़ मुस्लिम आबादी है, जिसमें लगभग एक करोड़ उइगर मुस्लिम शिनजियांग प्रांत में रहते हैं. उइगर मुसलमानों के विद्रोही तेवरों के चलते उनकी अधिकांश धार्मिक स्वतंत्रता पर चीनी सरकार ने अंकुश लगाया हुआ हैं।