इजराइल-हमास के बीच चल रही जंग से रूस को फायदा होने वाला है। दरअसल इस वक्त अमेरिका ने अपनी पूरी ताकत इजराइल के पीछे लगा दी है। इस बीच दुनिया की नजर यूक्रेन से हट गई है। इजराइल -हमास की जंग का एक पहलू ये भी है कि दुनिया में बढ़ती तेल की कीमत रूस की अर्थव्यवस्था के लिए मुफीद है।
अगर इजराइल की मदद के चलते यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति धीमी हो जाती है, तो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का मकसद जल्दी पूरा हो सकता है। यही नहीं अगर इज़राइल गाजा पट्टी में जमीनी युद्ध शुरू करता है तो हथियारों की मांग और बढ़ सकती है।
वैसे भी इज़राइल और यूक्रेन के बीच अगर अमेरिका को किसी एक को चुनना होगा तो वह इज़राइल को चुनेगा। इस चलते यूक्रेन भी परेशान है। पुतिन ने कुछ दिन पहले कहा था कि अमेरिकी और यूरोपीय समर्थन यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य रूप से बचाए हुए हैं। पुतिन ने कहा था कि अगर हथियारों की डिलीवरी कल बंद कर दी जाती है तो यूक्रेन के पास केवल एक सप्ताह का समय होगा जब तक कि वे अपने सभी गोला-बारूद का उपयोग नहीं कर लेता।
इस बीच यूक्रेन के लिए यूरोप में समर्थन को भी झटका लगा है। हाल ही में पोलैंड ने विवाद के चलते यूक्रेन को धमकी भी दे दी थी। वहीं आने वाले वक्त में स्लोवाकिया भी यूक्रेन को सदमा पहुंचा सकता है।
पुतिन इसलिए भी खुश हैं क्योंकि तेल की कीमत पर इज़राइल-हमास जंग का असर यूक्रेन में रूस के युद्ध को और भी बढ़ावा दे सकता है। जैसे-जैसे तेल की कीमतें बढ़ती हैं इससे रूस को हथियार उत्पादन पर खर्च जारी रखने में मदद मिलेगी और इससे कुछ बजट घाटे को कवर करने में भी फायदा होगा।