भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार की रात पाकिस्तान ने भारतीय इलाकों पर ड्रोन और लड़ाकू विमानों के ज़रिए हमला करने की कोशिश की, जिसे भारतीय सेना ने समय रहते नाकाम कर दिया। जवाबी कार्रवाई में भारत ने न केवल 50 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन गिराए, बल्कि चार फाइटर जेट्स को भी मार गिराया। हालात बेहद संवेदनशील हो चुके हैं और ऐसे में अब दुनिया की नज़र इस क्षेत्र पर टिक गई है।
इस बीच अमेरिका की ओर से एक अहम बयान सामने आया है। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अमेरिका इस टकराव में किसी भी पक्ष का साथ नहीं देगा। वेंस ने कहा, “यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है और हम इसमें दखल नहीं देंगे। हमारी केवल यह उम्मीद है कि हालात नियंत्रण में रहें और परमाणु युद्ध जैसी स्थिति न बने।”
1971 से बिल्कुल अलग है अमेरिका का रुख
गौरतलब है कि 1971 की जंग के समय अमेरिका ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया था और बंगाल की खाड़ी में अपना युद्धपोत तक भेजा था। लेकिन इस बार माहौल बिल्कुल अलग है। वाशिंगटन ने साफ कर दिया है कि वह तटस्थ भूमिका निभाएगा और किसी एक पक्ष में नहीं खड़ा होगा।
वेंस ने आगे कहा, “हम दोनों देशों से अपील कर सकते हैं कि वे संयम बरतें, लेकिन हम इनमें से किसी को भी हथियार डालने को मजबूर नहीं कर सकते। हम चाहेंगे कि यह तनाव किसी बड़े युद्ध में न बदले, खासकर परमाणु संघर्ष में तो बिल्कुल नहीं। हम इस दिशा में कूटनीतिक प्रयास जारी रखेंगे।”
कूटनीति की वकालत, लेकिन हस्तक्षेप नहीं
अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने यह भी जोड़ा कि फिलहाल ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही कि यह टकराव पूर्ण युद्ध या परमाणु टकराव में तब्दील हो जाएगा, लेकिन अमेरिका स्थिति को लेकर सतर्क और चिंतित जरूर है। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि दोनों देश शांत दिमाग से फैसले लेंगे। इस क्षेत्र में स्थिरता बहुत ज़रूरी है।”