कोरोना वायरस की यादें अभी धुंधली भी नहीं हुई थीं कि चीन में एक नए वायरस ने चिंता बढ़ा दी है। इस नए वायरस का नाम HKU5-CoV-2 है, जो तेजी से फैलने की आशंका जता रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस भी इंसानों में संक्रमण फैला सकता है, क्योंकि यह उसी प्रकार के ह्यूमन रिसेप्टर का उपयोग करता है, जैसा कि SARS-CoV-2 करता था। इस नई खोज के बाद चीन में स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है।
कैसे फैला था कोरोना वायरस?
- वर्ष 2019 में वुहान से फैला कोरोना वायरस।
- चमगादड़ से इंसानों में आया COVID-19।
- भारत में 30 जनवरी 2020 को पहला मामला दर्ज।
- अप्रैल 2021 से मई 2021 के बीच दूसरी लहर ने भारी तबाही मचाई।
- दिसंबर 2021 में तीसरी लहर की शुरुआत।
- वैश्विक महामारी के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन लगा।
- अब तक लगभग 71 लाख लोगों की जान गई।
क्या एक और महामारी की आहट?
“साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट” की रिपोर्ट के अनुसार, यह अध्ययन प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट शी झेंगली के नेतृत्व में हुआ है। उनकी कोरोना वायरस पर गहन रिसर्च के चलते उन्हें “बैटवुमन” के नाम से जाना जाता है। इस स्टडी में गुआंगझोउ लैब, साइंस अकादमी, वुहान यूनिवर्सिटी और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। उनके निष्कर्षों को ‘जर्नल सेल’ में प्रकाशित किया गया है।
इस नए वायरस का पता ऐसे समय में चला है जब चीन में मानव मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में चीन के अस्पतालों में भीड़भाड़ की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है, बल्कि यह एक सीजनल बीमारी है जो हर साल सर्दियों में फैलती है।
चीन में नया वायरस HKU5-CoV-2 कैसे आया?
इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर कोई निश्चित राय नहीं है, लेकिन स्टडीज के अनुसार, यह चमगादड़ों से फैल सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इंटरमीडिएट होस्ट के जरिए इंसानों तक पहुंच सकता है। इस वायरस की खोज सबसे पहले हांगकांग में जापानी पिपिस्ट्रेल चमगादड़ में की गई थी। यह वायरस मेरबेकोवायरस उपश्रेणी से संबंधित है, जिसमें मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) का कारण बनने वाला वायरस भी शामिल है।
क्या नया वायरस अधिक घातक है?
अध्ययन से पता चला है कि HKU5-CoV-2 वायरस एंजियोटेंसिन-कनवर्टिंग एंजाइम (ACE2) रिसेप्टर से जुड़ सकता है, जो SARS-CoV-2 वायरस द्वारा मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने के लिए उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष में कहा है कि यह वायरस केवल चमगादड़ ही नहीं, बल्कि इंसानों और अन्य जीवों में भी फैलने की क्षमता रखता है। इसके संभावित प्रभावों को लेकर अभी और रिसर्च जारी है, लेकिन इससे संभावित महामारी के संकेत मिलने लगे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अभी इस वायरस को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।