बांग्लादेश में तख्तापलट की आहट? छात्रों के बड़े प्रदर्शन से बढ़ी हलचल

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बांग्लादेश में तख्तापलट की आहट? छात्रों के बड़े प्रदर्शन से बढ़ी हलचल
बांग्लादेश में तख्तापलट की आहट? छात्रों के बड़े प्रदर्शन से बढ़ी हलचल

बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट की अटकलें तेज हो गई हैं। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि जुलाई क्रांति का नेतृत्व करने वाले छात्र नेता, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंका था, आज फिर ढाका के शहीद मीनार पर एक बड़े प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। इस बार इनका उद्देश्य बांग्लादेश के संविधान में बड़े बदलाव करना बताया जा रहा है।

30 लाख लोगों के जुटने की तैयारी

इस सभा के लिए 30 लाख से अधिक लोगों को शामिल करने की योजना बनाई गई है। कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी भी इस सभा का जमकर प्रचार कर रहा है। सोशल मीडिया पर छात्र नेताओं की अपील तेजी से वायरल हो रही है। इस बढ़ते दबाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, भी कमजोर पड़ती दिख रही है।

सरकार और छात्रों के बीच तनातनी

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, मोहम्मद यूनुस की सरकार ‘जुलाई क्रांति’ को आधिकारिक रूप से लागू करने की योजना बना रही थी। हालांकि, छात्र नेताओं ने यह दावा किया है कि क्रांति का ऐलान सरकार नहीं, बल्कि वे खुद करेंगे। इस संबंध में मंगलवार, 31 दिसंबर को शहीद मीनार पर आयोजित रैली में बड़े फैसले की घोषणा की जाएगी।

छात्र आंदोलन के को-ऑर्डिनेटर हसनत अब्दुल्ला ने कहा, “हम जल्द ही अपने फैसले का ऐलान करेंगे।” इसके बाद मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि सरकार की ओर से जुलाई क्रांति के ऐलान की कोई तैयारी नहीं है।

संभावित बदलाव और नई व्यवस्था

सूत्रों के अनुसार, इस क्रांति के तहत बांग्लादेश के संविधान में कई बड़े बदलाव किए जा सकते हैं। संभावित बदलावों में शामिल हैं:

देश का नाम बदलने की योजना

बांग्लादेश का नाम बदलकर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश, इस्लामिक खिलाफ ऑफ बांग्लादेश, या इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईस्ट पाकिस्तान किए जाने की चर्चा है।

शरिया कानून लागू करने का प्रस्ताव

देश में सुन्नत और शरिया कानून को लागू करने की योजना भी अफवाहों में है। संभावना है कि राष्ट्रपति और सेना प्रमुख से इस्तीफा लेकर मोहम्मद यूनुस को नया राष्ट्रपति घोषित किया जा सकता है।

बदलाव की दहलीज पर बांग्लादेश

इस सभा और संभावित क्रांति के मद्देनजर बांग्लादेश के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य में बड़े बदलाव हो सकते हैं। छात्र नेताओं की इस रैली पर देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी हुई हैं। अब देखना होगा कि 31 दिसंबर को शहीद मीनार से क्या नया मोड़ सामने आता है।