बलूचिस्तान में आज़ादी की मांग ने एक बार फिर पाकिस्तान सरकार और सेना की नींद उड़ा दी है। इस बार आवाज़ आई है अमेरिका से, जहां बलूच अमेरिकन कांग्रेस के अध्यक्ष और बलूचिस्तान सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री तारा चंद बलूच ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर खुलकर समर्थन मांगा है। इस पत्र में उन्होंने भारत से नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक सहयोग की अपील की है, जिससे पाकिस्तान में खलबली मच गई है।
इस अपील को बलूच अमेरिकी कांग्रेस ने औपचारिक रूप से दो पत्रों के ज़रिए भारत सरकार तक पहुंचाया है। तारा चंद ने अपने संदेश में पीएम मोदी के उस ऐतिहासिक भाषण की तारीफ की, जिसमें उन्होंने लाल किले से बलूचिस्तान का उल्लेख किया था। उन्होंने इसे “बलूच जनता के लिए वैश्विक स्तर पर उम्मीद की किरण” करार दिया और कहा कि इसने दुनिया भर में बसे बलूच लोगों को साहस और आशा दी।
1948 से आज तक जुल्म का इतिहास
पत्र में बलूचिस्तान की जबरन पाकिस्तान में शामिल किए जाने की कहानी का ज़िक्र करते हुए इसे एक “क्रूर सैन्य कब्जा” बताया गया है। डॉ. तारा चंद ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना और उसके समर्थन से काम कर रही जिहादी ताकतों ने बलूच लोगों के खिलाफ कई तरह की ज्यादतियां की हैं—जिनमें जबरन गायब करना, यातनाएं देना और सामूहिक हत्या जैसी घटनाएं शामिल हैं।
उन्होंने लिखा कि हजारों बलूच अब तक लापता हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है और यह सब एक सुनियोजित साजिश के तहत किया जा रहा है ताकि बलूच राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन को कुचला जा सके।
चीन की घुसपैठ और अंतरराष्ट्रीय चुप्पी पर चिंता
तारा चंद ने चेताया कि बलूचिस्तान में चीन की सक्रियता भी अब एक बड़ा भू-राजनीतिक खतरा बन चुकी है। उन्होंने निराशा व्यक्त की कि बलूच आंदोलन को अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह समर्थन नहीं मिल पाया जिसकी जरूरत थी। उन्होंने विशेष रूप से भारतीय मीडिया की तारीफ करते हुए कहा कि केवल भारत ही बलूच पीड़ा की आवाज़ को दुनिया तक पहुंचा रहा है।
भारत को निभानी होगी वैश्विक भूमिका
पत्र में पीएम मोदी से अनुरोध किया गया है कि भारत बलूचिस्तान मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुखर भूमिका निभाए। तारा चंद ने लिखा, “यदि भारत जैसी लोकतांत्रिक शक्ति आगे नहीं आएगी, तो पाकिस्तान बलूच आंदोलन को कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।” उन्होंने कहा कि भारत और बलूचिस्तान के बीच सहयोग सिर्फ नैतिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, खासकर बलूचिस्तान की तटीय स्थिति और प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए।
सिंधु जल समझौते पर भी दी प्रतिक्रिया
तारा चंद ने सिंधु जल संधि को लेकर भारत के रुख की भी सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा समझौते को स्थगित रखने और पाकिस्तान को “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते” जैसे स्पष्ट संदेश देने की रणनीति की सराहना की। उन्होंने कहा कि बलूच जनता को भारत से उम्मीदें हैं और वह भारत सरकार की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं।