अमेरिका ने एक बार फिर पाकिस्तान के प्रति बेहद कड़ा रूख दिखाया है। अमेरिका के दो वरिष्ठ अमेरिकी सांसदों ने द्विदलीय बिल पेश किया है। जिसमें पाकिस्तान का ‘मेजर नॉन-नाटो ऐली’ (अहम गैर-नाटो सहयोगी या एमएनएनए) दर्जा रद्द करने की मांग की गई है, क्योंकि पाकिस्तान ‘आतंकवादियों को शरण’ देता है, और ‘आतंकवाद से लड़ने, उसे खत्म करने के लिए दी गई रकम के प्रति कतई जवाबदेही नहीं दर्शाता। पाकिस्तान को वर्ष 2004 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अपने कार्यकाल में एमएनएनए दर्जा दिया था, ताकि वह अल-कायदा और तालिबान से लड़ने में अमेरिका की मदद कर सके।
आपको बता दें कि किसी भी एमएनएनए देश को रक्षा सामग्री की आपूर्ति प्राथमिकता के आधार पर की जाती है, एमएनएनए देश अमेरिकी सैन्य हार्डवेयर जमा कर सकते हैं, रक्षा अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों में शिरकत कर सकते हैं, और उन्हें शेष देशों की तुलना में अत्याधुनिक हथियार बेचे जा सकते हैं। अब अमेरिका के दो वरिष्ठ सांसदों ने पाकिस्तान को इस दर्जे से हटाने के लिए एक बिल पेश किया है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि यह बिल ऐसे समय में पेश हुआ है जब भारतीय प्रधानमंत्री पहली अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने दो दिन के दौरे पर अमेरिका जा रहे है। इस दौरे में दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत का सबसे अहम मुद्दा आतंकवाद ही रहने वाला है। भारत पहले से ही पाकिस्तान को आतंकवाद का बड़ा सहयोगी बताता आया है। अब टेड पो ने अमेरिकी संसद में पाकिस्तान के खिलाफ बेहद कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “पाकिस्तान को उसके हाथों पर लगे अमेरिकी खून के लिए जवाबदेह बनाना ही होगा। ओसामा बिन लादेन को शरण देने से लेकर तालिबान का साथ देने तक पाकिस्तान ज़िद्दी और अड़ियल तरीके से उन आतंकवादियों के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करने से इंकार करता रहा है, जो हर विरोधी विचारधारा को नुकसान पहुंचाने पर अड़े हैं। हमें साफ तौर पर पाकिस्तान से दूरी बना लेनी चाहिए, लेकिन कम से कम हमारे अत्याधुनिक हथियारों तक उसकी पहुंच से तो वंचित कर ही देना चाहिए।”