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‘विपात्र’ में मुक्तिबोध ने बिखेरा है अपनी लेखनी का जादू; ‘व्यक्तित्व...
पुनीत रंजन। हिंदी साहित्य में मुक्तिबोध (1917-1964) मूलतः कवि के रूप में जाने जाते है। 'चाँद का मुँह टेढ़ा है', 'ब्रह्मराक्षस' और 'अंधेरे में'...