रविवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में भारत के कानूनी और तकनीकी क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम के तहत BITS लॉ स्कूल और PanScience Innovations ने मिलकर PALETTE (Professional Advancement in Law through Executive Training & Technical Education) नामक देश के पहले AI-सक्षम लीगल इनोवेशन सेंटर का शुभारंभ किया। यह सेंटर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और नई तकनीकों को न्यायिक प्रक्रियाओं, विधि शिक्षा और कानूनी अभ्यास से जोड़ने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। इस लॉन्च इवेंट में देश के प्रमुख न्यायविद मौजूद रहे।
कार्यक्रम में शामिल हुए देश के प्रमुख न्यायविद
इस सेंटर के शुभारंभ कार्यक्रम में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ ने प्रेसिडेंशियल एड्रेस दिया और भारत के अटॉर्नी जनरल श्री आर. वेंकटारमणी ने मुख्य अतिथि के रूप में अपना संबोधन प्रस्तुत किया। दोनों शीर्ष विधिज्ञों की मौजूदगी ने इस पहल को मजबूत वैचारिक समर्थन प्रदान किया।
पूर्व CJI का वक्तव्य – …AI की कार्यप्रणाली समझना भी उतना ही जरूरी
पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन में कहा, “आज के वकीलों को न केवल विधियों (statutes) की व्याख्या करनी चाहिए, बल्कि यह भी समझना आवश्यक है कि कि AI सिस्टम अपने सुझावों (recommendations) तक कैसे पहुंचते हैं।”

“पैलेट सेंटर…न्याय के लिए एक प्रयोगशाला”- AG आर. वेंकटरमणी
भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने PALETTE सेंटर के उद्घाटन समारोह में अपने विचार साझा करते हुए इसे “न्याय के लिए एक प्रयोगशाला” बताया। उन्होंने कहा कि यह पहल AI और नैतिक तर्क में दक्ष नए कानूनी पेशेवरों की पीढ़ी को प्रशिक्षित करने की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम है।
वेंकटरमणी ने कहा कि PALETTE सिर्फ तकनीकी नवाचार का मंच नहीं है, बल्कि यह न्याय प्रणाली के पुनर्परिभाषण की दिशा में एक विचारशील प्रयोग है। उन्होंने कहा, “इस तरह की विविधता वाली तकनीक, निस्संदेह, इस तरह के विचार की प्रयोगशाला बनने का सपना देख सकती है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर विधि विद्यालयों को सच में अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला बनना है, तो उन्हें केवल पारंपरिक प्रशिक्षण और लागत-समय आधारित मॉडल से आगे बढ़कर सोचना होगा।
अटॉर्नी जनरल ने मौजूदा विरोधी न्याय प्रणाली की सीमाओं पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “यह प्रणाली पीसा की मीनार की तरह झुकती जा रही है, और अपनी विफलताओं की ओर तेज़ी से झुक रही है।”
इसके अलावा, उन्होंने भविष्य की सहयोगात्मक कानूनी संरचना की कल्पना की, जिसमें कानूनी टेक्नोलॉजिस्ट, डेटा वैज्ञानिक और मानवाधिकार विशेषज्ञ एक साथ काम करें।
डॉ. अंशुल पांडे बोले – AI न्याय प्रणाली को और अधिक सुलभ बनाएगा
पैनसाइंस इनोवेशंस के संस्थापक एवं चेयरमैन डॉ.अंशुल वी. पांडे ने अपने संबोधन में कहा, “एआई मानव निर्णय को प्रतिस्थापित करने नहीं, बल्कि उसे सशक्त बनाने के लिए है। पैलेट (PALETTE) सेंटर के माध्यम से हमारा लक्ष्य है कि न्याय प्रणाली को तेज, स्मार्ट और अधिक सुलभ बनाया जा सके।”
प्रो. आशीष भारद्वाज ने कहा– समय की मांग है लीगल-टेक
BITS लॉ स्कूल के डीन प्रो. (डॉ.) आशीष भारद्वाज ने कहा,“परंपरागत लॉ फर्म्स, बुटीक प्रैक्टिस और कॉर्पोरेट कानूनी टीमें, एक सख्त प्रोटोकॉल-आधारित प्रणाली में AI को तेजी से अपनाने वालों के रूप में उभर रही हैं। चूंकि हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के पास 5,000 से 15,000 केस होते हैं और औसतन हर केस को निपटाने में पांच साल का समय लगता है, ऐसे में लीगल-टेक की ओर बदलाव न केवल समयानुकूल है बल्कि आवश्यक भी।”

क्या है PALETTE?
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि PALETTE का उद्देश्य भारत की न्यायिक प्रणाली में AI के उपयोग को मुख्यधारा में लाना है। यह सेंटर वकीलों, न्यायाधीशों, न्यायिक स्टाफ और विधि छात्रों को AI टूल्स और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग प्रदान करेगा।
ट्रेनिंग में शामिल होंगी:
- AI आधारित लीगल रिसर्च
- केस क्लासिफिकेशन
- डॉक्यूमेंट रिव्यू
- कोर्टरूम ऑटोमेशन
Nyaay AI का लाइव डेमो बना आकर्षण
नई दिल्ली में आयोजित PALETTE सेंटर के शुभारंभ कार्यक्रम के दौरान पैनसाइंस इनोवेशंस द्वारा विकसित अत्याधुनिक Nyaay AI टूल्स का लाइव डेमो प्रस्तुत किया गया। यह प्रस्तुति न सिर्फ तकनीक की उन्नति को दर्शाती है, बल्कि यह भारत की न्यायिक प्रणाली में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के प्रभावशाली उपयोग की नई संभावनाओं का भी संकेत देती है।
इस डेमो में तीन प्रमुख तकनीकी पहलुओं को प्रदर्शित किया गया—
- ऑटोमैटिक केस समरी (Automatic Case Summarisation)
- दस्तावेज़ वर्गीकरण (Document Classification)
- पूर्वानुमान आधारित निर्णय विश्लेषण (Predictive Judgment Analysis)
इन सभी सुविधाओं को विशेष रूप से भारतीय न्यायिक प्रणाली की जटिलताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये टूल्स न केवल कानून फर्मों, बल्कि नीति निर्माण संस्थानों और इन-हाउस कानूनी विभागों के कामकाज को तेज, सटीक और डेटा-संचालित बना सकते हैं। यह तकनीकी पहल न्यायिक प्रक्रिया को पारंपरिक रूप से लंबी और जटिल प्रक्रियाओं से निकालकर एक डिजिटल, सहज और व्यावहारिक व्यवस्था की ओर ले जाने में मददगार साबित हो सकती है।