Drone: अब स्वदेश में ही नागरिक ड्रोन का उत्पादन और संयोजन सरल होगा। देश के दिग्गज औद्योगिक घराने अडानी और अंबानी इस प्रोजेक्ट पर जल्द ही काम शुरू करने वाले हैं।
रिलायंस समूह की फर्म जियो प्लेटफॉर्म के एस्टेरिया एयरोस्पेस और अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने देश में ड्रोन का उत्पादन और असेंबल करने का इरादा व्यक्त किया है। दोनों कंपनियों ने रक्षा क्षेत्र के लिए ड्रोन के निर्माण में खुद को स्थापित किया है। नागरिक ड्रोन के उत्पादन और संयोजन में प्रवेश करने की इच्छुक हैं।अडानी समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर ब्रांड में नागरिक ड्रोन के क्षेत्र में एक मजबूत उड़ान भरने को तैयार हैं।
Drone: क्लाउड-आधारित प्लेटफार्म का होगा इस्तेमाल
नागरिक ड्रोन विकसित करने की पद्धति पूरी तरह से क्लाउड आधारित होगी। मालूम हो कि ड्रोन का सर्वाधिक इस्तेमाल रक्षा, सुरक्षा एजेंसियों, नागरिक सरकारी एजेंसियों और निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए होता है। कंपनी ड्रोन से हवाई डाटा को कार्रवाई योग्य खुफिया सूचना में बदलने के लिए विज़ुअलाइज़ेशन और विश्लेषण के लिए सॉफ़्टवेयर भी विकसित करती है। इसके साथ ही कंपनी कृषि, तेल और गैस, ऊर्जा, दूरसंचार, खनन और निर्माण के क्षेत्रों में भी काम कर रही है।
Drone: बेहद खास होंगे स्टार्ट अप निर्मित कृषि ड्रोन
अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस में लैंड सिस्टम के अधिकारियों के अनुसार कंपनी वर्तमान में इस क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा दे रही है।एक लॉजिस्टिक्स ड्रोन का निर्माण कर रही है जोकि कृषि ड्रोन विकसित करने के अलावा 120 किलोग्राम तक का पेलोड भी ले जा सकता है।
इसके लिए अडानी समूह और इजरायली कंपनी एलबिट का एक संयुक्त उद्यम भी ड्रोन और ड्रोन घटकों के निर्माण के लिए सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन यानी (पीएलआई) योजना के तहत काम करेगा।
कंपनी ने वर्ष 2018 में हेमीज़ 900 मल्टी-रोल यूएवी पेश करने के लिए भारत के रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया था।अब नागरिक पक्ष में प्रवेश करने के लिए जैविक और अकार्बनिक दोनों तरीकों से काम किया जाएगा।
Drone:ड्रोन उद्योग के लिए सरल बनेंगे नियम
ड्रोन उद्योग के लिए केंद्र के उदार नियमों का होना बेहद जरूरी है। कंपनियों को नागरिक क्षेत्र के लिए यूएवी विकसित करने और इकट्ठा करने में मदद मिलेगी। ड्रोन नियम, 2021 ने खेती से लेकर ई-कॉमर्स डिलीवरी तक सभी क्षेत्रों में ड्रोन के संचालन और निर्माण के लिए मंजूरी को उदार बनाया है। इसके लिए ड्रोन ऑपरेटरों और निर्माताओं के साथ सीधे संपर्क भी किया जा रहा है।
स्वेदश में ड्रोन कंपोनेंट्स का करीब 70 फीसदी बनाने का मौका है। भारत में अब तक 270 ड्रोन स्टार्टअप हो चुके हैं।
आगे भी इसके बड़ने की बड़ी संभावना है। ऐसे में अगर ड्रोन नियमों को काफी उदार बनाया गया इनके संचालन और प्रबंधन में सुविधा होगी।
Drone:डिजिटल स्काई सिंगल-विंडो करेगा मदद
इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक डिजिटल स्काई सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म बनाया है।जो भारत में यूएवी के प्रबंधन से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का ध्यान रखेगा। प्लेटफॉर्म में रिमोट पायलट सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना, रिपोर्ट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन के लिए आवेदन, पायलट सर्टिफिकेट और फ्लाइट प्लान सबमिशन जैसी सुविधाएं शामिल हैं।उद्योग संगठन फिक्की ने भारत में ड्रोन के लिए बाजार की क्षमता 3 लाख करोड़ आंकी है।
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