उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मदरसों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रदेश के 46 मदरसों की अनुदान राशि को रोक दिया है। इन तमाम मदरसों के खिलाफ मानक के अनुसार मदरसा नहीं चलाने की शिकायत थी। प्रदेश सरकार ने डीआईओएस की रिपोर्ट के हवाले से यह रोक लगाई गई है।
आपको बता दें कि मदरसों के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद योगी सरकार ने जिलाधिकारियों, डीआईओएस और अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को मिलाकर एक जांच कमेटी बनाई थी और कमेटी को दो महीने के अंदर रिपोर्ट फाइल करनी थी।
इस कमेटी ने अपने जांच में यह पाया कि ये मदरसे मानक के अनुसार नहीं चल रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार मदरसों के भवन मानक के अनुरूप नहीं पाए गए। इसके अलावा इसमें वित्तीय और तमाम अनियमितता पाई गई। रिपोर्ट के मुताबिक इन मदरसों में शिक्षकों को वेतन तो कम दी जाती है, लेकिन हस्ताक्षर ज्यादा पर करवाया जाता है यानी रिकॉर्ड में जितनी सैलरी दी जाती है, उससे ज्यादा दिखाई जाती है। वहीं कई मदरसों में पढाई-लिखाई वास्तविकता में नहीं सिर्फ कागजों पर होने की बात की गई।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के 560 मदरसों को अनुदान राशि देती है। इस अनुदान राशि में शिक्षकों की सैलरी और रख रखाव का खर्च शामिल होता है।
इससे पहले भी योगी सरकार ने राज्य के सभी मदरसों को हिंदी में मदरसे का नाम, खुलने और बंद होने का समय समेत अनेक जानकारियों को साझा करने का आदेश दिया था। आदेश को जारी करते हुए यूपी सरकार के मंत्री बलदेव सिंह ओलख ने कहा था कि ये आदेश इसलिए दिया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जान सकें कि आखिरकार इस मदरसे का नाम क्या है और यहां किस तरह की पढ़ाई होती है?
बीते स्वतंत्रता दिवस पर भी शासन ने प्रदेश के सभी मदरसों को यह निर्देश दिया था कि वह स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम और राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी कराए।