संभल पर सियासी संग्राम: गाजीपुर बॉर्डर पर रोका गया राहुल-प्रियंका का काफिला, कांग्रेसियों की पुलिस से झड़प

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संभल पर सियासी संग्राम
संभल पर सियासी संग्राम

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हुई विवादित घटना ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस घटना के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा संभल जाने की कोशिश में थे, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने उनका काफिला रोक दिया। इसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई। कांग्रेस नेताओं ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया, जबकि प्रशासन ने इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कार्रवाई बताया।

क्या है मामला?

संभल में हाल ही में एक दर्दनाक घटना घटी, जिसमें कुछ स्थानीय मुद्दों को लेकर तनाव फैल गया। घटना के पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने संभल का दौरा करने की योजना बनाई। कांग्रेस का कहना है कि यह दौरा केवल पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए था।

गाजीपुर बॉर्डर पर रोका गया काफिला

जब राहुल-प्रियंका का काफिला दिल्ली से निकलकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने वाला था, तभी गाजीपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया। पुलिस ने उन्हें यह कहते हुए आगे बढ़ने से मना कर दिया कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। इसके बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प

राहुल और प्रियंका के काफिले को रोके जाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौके पर इकट्ठा हो गए और सरकार व पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। इस दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की हुई। झड़प के कारण स्थिति तनावपूर्ण हो गई, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा।

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राज्य सरकार की “तानाशाही मानसिकता” का उदाहरण बताया। प्रियंका गांधी ने कहा, “हम केवल पीड़ित परिवारों से मिलना चाहते थे। यह कैसा लोकतंत्र है, जहां जनता के नेताओं को अपनी आवाज उठाने से रोका जा रहा है?” राहुल गांधी ने भी इसे “जनता की आवाज को दबाने का प्रयास” करार दिया।

प्रशासन का पक्ष

पुलिस प्रशासन का कहना है कि संभल की स्थिति पहले से ही संवेदनशील है, और ऐसे में किसी भी नेता का दौरा इलाके में तनाव बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि नेताओं को रोका जाना कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक एहतियाती कदम था।

राजनीतिक सरगर्मियाँ तेज

इस घटना ने प्रदेश में सियासी माहौल को और गरमा दिया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की बात कही है, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर “घड़ियाली आंसू बहाने” का आरोप लगाया है। विपक्षी दलों ने भी इस मामले पर योगी सरकार को घेरते हुए इसे “अलोकतांत्रिक” करार दिया है।