‘फांसी नहीं देते तो क्या माला पहनाते?’ उमर अब्दुल्ला द्वारा अफजल गुरु की फांसी को लेकर दिए बयान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने NC को घेरा

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RAJNATH SINGH ON OMAR ABDULLAH : जम्मू कश्मीर में कुछ ही समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी बीच पार्टियों के मध्य तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई है। खासकर की बीजेपी और जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस या कहें नेशनल कांफ्रेंस (NC) के बीच आरोप और प्रत्यारोप की मानों झड़ी सी लग गई है। इस दौरान अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उमर अब्दुल्ला के बयान पर नेशनल कांफ्रेंस को घेरा है और कहा है कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता आतंकवादियों के साथ सहानुभूति रखते हैं। इसके साथ ही रक्षामंत्री ने पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को भारत का हिस्सा बताया।

जम्मू कश्मीर के रामबन में सभा को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ”मैंने सुना है, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला साहब ने कहा था कि अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अफजल गुरु को फांसी नहीं दी जानी चाहिए थी, क्या उन्हें सार्वजनिक रूप से माला पहनाई जानी चाहिए थी?”

रक्षामंत्री ने आगे कहा, “नेशनल कॉन्फ्रेंस अनुच्छेद 370 को बहाल करने की बात कर रही है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में 40,000 नौकरियां पैदा हुई हैं। जम्मू-कश्मीर में हमारी सरकार बनने के बाद हम विकास कार्य करेंगे, जिससे पीओके के लोग भारत का हिस्सा बनना चाहेंगे। पीओके के लोग कहेंगे कि यहां भी सरकार बनाओ,हमें पाकिस्तान के साथ नहीं रहना है, हम भारत के साथ जाना चाहते हैं, हम पीओके के लोगों को अपना मानते हैं। आइए और हमारे साथ जुड़िए।”

इसके अलावा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “पाकिस्तान के लोग ही POK को अपना नहीं मानते, पाकिस्तान के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने पीओके को विदेशी भूमि कहा है। लेकिन भारत पीओके के लोगों को अपना मानता है।”

उमर अब्दुल्ला का अफजल गुरु की फांसी पर बयान

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बीते शुक्रवार (6 सितंबर) को एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने अफजल गुरु की फांसी पर अपने विचार रखे थे, जिससे एब एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। बता दें कि अफजल गुरु 2001 संसद हमले का दोषी था, जिसे साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फांसी की सजा दी गई थी। उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा, “अफजल गुरु को फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ। ये मामला जम्मू-कश्मीर सरकार के अंतर्गत नहीं था, इसलिए जम्मू-कश्मीर का अफजल गुरु की फांसी से कोई लेना-देना नहीं था। अगर ये मामला जम्मू-कश्मीर सरकार के बस में होता तो राज्य सरकार की अनुमति से ऐसा करना पड़ता और राज्य सरकार इसकी मंजूरी नहीं देती।”