बिहार में प्रखंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा पारित किया गया एक आदेश बवाल का कारण बनता जा रहा है। इस आदेश के तहत अब शिक्षकों को खुले में शौच करने वाले दोषियों के साथ सेल्फी लेनी हैं। यानि की पहले तो शिक्षकों को अच्छे से निगरानी करके खुले में शौच करने वालों को ढूंढना हैं उसके बाद उनके साथ सेल्फी भी लेनी हैं।
देश में खुले में शौच करने वाले लोगों को “स्वच्छता का पाठ” पढ़ाने और खुलें में शौच करने से होने वाले नुकसानों से अवगत कराने के लिए ही ये आदेश जारी किया गया है। जानकारी के लिए बता दे कि इससे पहले शिक्षकों से पशुगणना, जनगणना से लेकर चुनावी कार्यों तक की जिम्मेदारी सौपीं जा चुकी हैं।
इस देश के जारी किए जाने के बाद से ही बिहार में विरोध का माहौल साफ देखा जा सकता है। बिहार के दो प्रखंड “मुज़फ़्फ़रपुर के कुढ़नी” और “औरंगाबाद के देब” के प्रखंड शिक्षा अधिकारियों ने ये फरमान जारी किया हैं कि बच्चों को स्कूल में शिक्षित करने के अलावा अब शिक्षकों को हर सुबह-शाम एक-एक घंटे खुले में शौच करने वालों पर नजर रखनी हैं, इसके बाद जो भी व्यक्ति दोषी पाया जाता है, उसे स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए उसके साथ सेल्फी भी लेनी है। सरकार का ये फैसला शिक्षकों के विरोध की वजह बन चुका हैं। शिक्षकों का कहना हैं , कि इस काम को करना शिक्षकों के पद का अपमान करने के समान हैं।
शिक्षकों को इस “शौचमुक्त भारत मिशन” की ड्यूटी के लिए जहां पत्र भेजा गया है वहीं के प्रधानाध्यापकों को शिक्षकों पर नजर रखने के लिए पर्यवेक्षक बनाया गया हैं। प्रधानाध्यापकों का काम ये सुनिश्चित करना हैं कि शिक्षक अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं या नहीं।
शिक्षक विरोध प्रदर्शन के लिए उतारू-
सरकारी नोटिस जारी किए जाने के बाद से ही शिक्षक संघ के नेता इस आदेश की अवहेलना कर रहे हैं। उनका कहना हैं-कि “इस आदेश को मानना हमारे सम्मान और प्रतिष्ठा के खिलाफ है”। शिक्षक यहां पढ़ाने आते हैं न कि ऐसे प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले काम करने।
शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा-कि शौच अभियान में शिक्षकों को जबरदस्ती शामिल करना पागलपन हैं। सरकार अपने इस घिनौने और बेतुकी फरमान को अविलंब वापस लें। हमारें शिक्षक ऐसा काम कभी नहीं करेंगे। ये शिक्षकों की प्रतिष्ठा के खिलाफ हैं और इससे बच्चों पर गलत असर पड़ेगा। अगर ये फरमान तुरंत वापस नहीं लिया गया तो इसके विरोध में शिक्षक संघ सीएम को पत्र लिखेगा।
“स्वच्छ भारत, खुले में शौच मुक्त भारत”, एक राष्ट्रीय अभियान हैं। लेकिन इसे इस तरह से लागू करने को लेकर शिक्षकों और शिक्षक संघ के नेताओं ने विरोधी रवैयां अपना लिया हैं। अब देखना ये होगा कि सरकार द्वारा जारी किया गया ये फरमान विरोध के और कितने रंग बिखेरेगा।