नोएडा का नाम बदलकर ‘राम सुतार नगर’ रखने की मांग, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा गया प्रस्ताव

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भारत और विश्व स्तर पर ख्यातिप्राप्त मूर्तिकार पद्म भूषण डॉ. राम वनजी सुतार के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में नोएडा का नाम बदलकर ‘राम सुतार नगर’ रखने की मांग उठाई गई है। यह मांग प्रो. (डॉ.) रामजीलाल जांगिड़, वरिष्ठ संचार कर्मी और सम्मानित लेखक ने की है। उन्होंने इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक औपचारिक पत्र लिखा है।

क्या है मांग का आधार?

पत्र में जांगिड़ ने नोएडा के वर्तमान नाम ‘NOIDA’ को केवल एक प्राधिकरण का संक्षिप्त नाम बताते हुए कहा है कि इसका कोई सांस्कृतिक या ऐतिहासिक अर्थ नहीं है। उन्होंने लिखा, “ नोएडा (NOIDA) यानी न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (New Okhla Industrial Development Authority) – जिसमें एक नाम ओखला मुहल्ले का है और शेष चार अंग्रेजी शब्द हैं। ये नाम एक गरीब बस्ती के औद्योगिक विकास की पहचान है, न कि सांस्कृतिक विरासत की।”

मूर्तिकार राम सुतार की उपलब्धियों को दिया आधार

पत्र में यह तर्क दिया गया है कि सेक्टर-63, नोएडा में स्थित राम सुतार का स्टूडियो बीते कई दशकों से भारत की अंतरराष्ट्रीय मूर्तिकला पहचान का केंद्र बना हुआ है। यहीं से बनी मूर्तियां दुनिया के 450 से अधिक शहरों की शोभा बढ़ा रही हैं। पत्र में लिखा गया है, “भारत माता को राम सुतार जैसे सुपुत्र पर गर्व है। बीते 80 वर्षों में उनकी उपलब्धियों की बराबरी दुनिया में कोई नहीं कर पाया।”

प्रस्तावित नाम और उसका महत्व

डॉ. जांगिड़ ने सुझाव दिया है कि नोएडा का नाम बदलकर ‘पद्म भूषण डॉ. राम सुतार शताब्दी नगर’ रखा जाए, जो संक्षेप में ‘राम सुतार नगर’ कहलाएगा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह नाम ‘श्रीराम’ की स्मृति को भी जीवित रखेगा। पत्र में लिखा है, “जैसे लखनऊ लक्ष्मण की स्मृति में, रामपुर श्रीराम की स्मृति में और लाहौर राजकुमार लव की स्मृति में बसाया गया, वैसे ही नोएडा को एक महान कलाकार की स्मृति से जोड़ देना चाहिए।”

बता दें कि यह पत्र डॉ. राम सुतार के 100वें जन्मदिवस (19 फरवरी 2025) को सम्मानित करने की दृष्टि से लिखा गया है। पत्र में आग्रह किया गया है कि इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा को एक सम्मानजनक सांस्कृतिक पहचान प्रदान करे।

सीएम योगी को भेजा गया पत्र

26/05/2025

माननीय योगी आदित्यनाथजी,
मुख्यमंत्री,
उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ

महोदय,
कालीकाता माता काली के नाम पर, मुंबई माता मुंब्रा देवी के नाम पर और ढाका माता ढाकेश्वरी के नाम पर बसे हुए शहर है। रामपुर श्री राम की स्मृति में, लखनऊ लक्ष्मण जी की स्मृति में और लाहौर राजकुमार लव की स्मृति में बसे हैं।

वरुणा और असी नदियों के संगम को वाराणसी नाम मिला। मगर ‘नोएडा’ का तो कोई अर्थ ही नहीं है। यह दिल्ली के दक्षिणी भाग की एक गरीब बस्ती के लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से बनाए गए प्राधिकरण का संक्षिप्त नाम है। NOIDA यानी New okhla Industrial Development Authority, इसमें एक नाम ओखला मुहल्ले का है और शेष चार अंग्रेजी शब्द हैं। इन पांच शब्दों के पहले अक्षरों के समूह को NOIDA कहते हैं?

क्यों न इस मानव बस्ती को एक सम्मान जनक नाम दे दिया जाए ? वह भी एक महान कलाकार से जोड़ कर। यह बस्ती विश्व के शिखर पुरुष पद्म भूषण डा. राम सुतार की कई दशकों से साधना स्थली रही है। सेक्टर 63 में स्थित उनके स्टूडियो में जो मूर्तियां कई दशकों के दौरान बनकर विश्व के लगभग 450 शहरों की शोभा बढ़ा रहीं हैं, वो भारत को लगातार गौरव दिला रही हैं। पिछले 80 सालों में दुनिया का कोई भी दूसरा व्यक्ति डा. राम सुतार जी के इस रिकार्ड को नहीं छू सका है। भारत माता अपने इस सुपुत्र पर स्वयं अभिमान करती है।

इसलिए उनके द्वारा 19 फरवरी 2025 को सौ वर्षपूरा करने के अवसर को सम्मान देने के लिए नोएडा का नाम बदलकर ‘पद्म भूषण डा. राम सुतार शताब्दी नगर कर दिया जाना चाहिए। यह संक्षेप में ‘राम सुतार नगर’ बन जाएगा। यह श्रीराम की याद भी दिलाएगा।

भवदीय,
प्रो. (डॉ.) रामजीलाल जांगिड
वरिष्ठ संचार कर्मी और पुरस्कृत लेखक
सेक्टर 48, नोएडा (उत्तरप्रदेश)