Mumbai: महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी में कुछ दिन पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की टीम ने एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया। टीम ने रेन फॉरेस्ट होटल में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारकर इसे ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई में भारी मात्रा में नकदी, सोना, मोबाइल, लैपटॉप और गाड़ियां जब्त की गईं। साथ ही पांच लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से दो आरोपी मीरा-भाईंदर के रहने वाले हैं। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि इन आरोपियों ने रायगढ़ में भी इसी तरह के फर्जी कॉल सेंटर संचालित किए थे।
इस कार्रवाई के बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय स्तर पर अफवाहें फैलाई गईं कि यह कॉल सेंटर पुलिस के संरक्षण में चल रहा था। हालांकि अब तक की जांच और CBI की जानकारी के मुताबिक इन आरोपों का कोई आधार नहीं है। बल्कि सच यह है कि अपराधियों ने जानबूझकर पुलिस विभाग की छवि धूमिल करने की कोशिश की।
करोड़ों की बरामदगी, कई गिरफ्तारियां
CBI को गुप्त सूचना मिली थी कि इगतपुरी के रेन फॉरेस्ट होटल में बड़े पैमाने पर फर्जी कॉल सेंटर संचालित हो रहा है। कार्रवाई में लगभग 1 करोड़ 20 लाख रुपये नकद, सोना, लैपटॉप, कई मोबाइल फोन और वाहन जब्त किए गए। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी विदेशी ग्राहकों को टारगेट कर फर्जी लोन, इंश्योरेंस, और तकनीकी सहायता के नाम पर ठगी करते थे।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से दो मीरा-भाईंदर निवासी हैं। ये लोग पहले भी रायगढ़ और पालघर में इसी तरह के कॉल सेंटर चला चुके हैं। CBI इस बात की भी जांच कर रही है कि इनके तार देश के बाहर तक फैले हैं या नहीं।
पुलिस पर आरोप क्यों?
छापे की खबर फैलते ही कुछ अखबारों और पोर्टलों पर यह अफवाह उड़ाई गई कि कॉल सेंटर पुलिस अधिकारियों के आशीर्वाद से चल रहा था। इससे पुलिस की छवि पर सवाल उठने लगे। लेकिन हकीकत यह है कि अब तक की जांच में किसी भी पुलिस अधिकारी की भूमिका साबित नहीं हुई है।
इतना ही नहीं, जांच में यह भी सामने आया कि स्थानीय पुलिस ने तकनीकी सहयोग और जानकारी उपलब्ध कराकर इस छापे को सफल बनाने में मदद की थी। इसके बावजूद कुछ असामाजिक तत्वों ने अपने अपराध छुपाने और ध्यान भटकाने के लिए पुलिस पर ही उंगली उठाई।
पहले भी जब मीरा-भाईंदर में एक नकली कॉल सेंटर पकड़ा गया था, तब भी पुलिस पर ऐसे ही आरोप लगे थे। लेकिन जांच में कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया था।
CBI की देशभर में कार्रवाई
फर्जी कॉल सेंटर का नेटवर्क सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। पिछले कुछ सालों में CBI ने देशभर में 50 से अधिक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। इनमें दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, कल्याण ,पुणे, नागपुर, नासिक सिटी जैसे इलाके शामिल हैं।
इन छापों में करोड़ों रुपये की नकदी, सैकड़ों मोबाइल फोन, कंप्यूटर, सर्वर और महंगे वाहनों को जब्त किया गया है। जांच में यह भी सामने आया कि इन फर्जी कॉल सेंटरों के जरिए विदेशी नागरिकों को ठगा जा रहा था। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के नागरिक इनका मुख्य निशाना थे।
CBI की रिपोर्ट बताती है कि इन कॉल सेंटरों का संचालन आमतौर पर अपराधी गिरोह करते हैं, जो बेरोजगार युवाओं को अच्छे वेतन का लालच देकर भर्ती करते हैं। उन्हें स्क्रिप्ट दी जाती है और विदेशी नागरिकों से अंग्रेजी में बातचीत कर उन्हें ठगने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
क्या इनके तार अधिकारियों तक जाते हैं?
यह सवाल अक्सर उठता है कि जब इतने बड़े पैमाने पर फर्जी कॉल सेंटर चल रहे हैं, तो क्या इनमें कुछ अधिकारियों का संरक्षण भी शामिल है?
CBI की अब तक की जांच बताती है कि अधिकांश मामलों में सीधा सबूत किसी बड़े अधिकारी की संलिप्तता का नहीं मिला है। हाँ, यह जरूर सामने आया है कि कुछ निचले स्तर पर स्थानीय प्रभावशाली लोग या असामाजिक तत्व अपने रसूख का इस्तेमाल करके इस धंधे को चलाने में मदद करते हैं।
कुछ मामलों में यह भी देखा गया कि समाजकंटक पुलिस का नाम लेकर काम करते हैं, ताकि आम जनता डर जाए और आसानी से उनकी चाल में फंस जाए। लेकिन जांच में साबित हुआ है कि यह केवल भ्रम फैलाने और पुलिस को बदनाम करने की चाल होती है।
पुलिस की चेतावनी
इस पूरे मामले पर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई भी व्यक्ति पुलिस का नाम लेकर फर्जी कॉल सेंटर चलाएगा और नागरिकों को ठगेगा, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का उद्देश्य अपराधियों को पकड़ना और नागरिकों को जागरूक करना है, न कि ऐसे अपराधों को संरक्षण देना।
स्थानीय पुलिस ने भी साफ किया है कि इगतपुरी मामले में उन्होंने सीबीआई को तकनीकी सहायता प्रदान की थी। इसलिए पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाना निराधार है।
आगे की जांच और संभावित खुलासे
CBI अभी इगतपुरी कॉल सेंटर मामले की गहराई से जांच कर रही है। टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस रैकेट में और कौन-कौन लोग शामिल हैं और इनके अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन कहां तक फैले हैं।
आने वाले समय में यह भी साफ होगा कि आरोपी किस तरह से विदेशी नागरिकों को फंसाकर ठगी कर रहे थे और पैसा किस नेटवर्क के जरिए भारत में लाते थे।
इगतपुरी कॉल सेंटर छापे का मामला एक बड़ा उदाहरण है कि अपराधी किस तरह अपने अवैध धंधे को छुपाने के लिए पुलिस जैसे संस्थानों पर उंगली उठाने की कोशिश करते हैं। लेकिन जांच में सच्चाई सामने आ ही जाती है।
CBI ने पिछले कुछ सालों में देशभर में कई कॉल सेंटरों पर कार्रवाई की है और करोड़ों रुपये का गोरखधंधा उजागर किया है। हालांकि अब तक किसी बड़े अधिकारी की संलिप्तता सामने नहीं आई है, फिर भी जांच एजेंसियां हर कोण से पड़ताल कर रही हैं।
इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि पुलिस को बदनाम करने की साजिश नाकाम हुई है और असली गुनाहगार जल्द ही जनता के सामने होंगे।









