महाकुंभ एक धार्मिक आयोजन मात्र नहीं है, बल्कि कुंभ हमारे देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और वैचारिक विविधताओं के संवाद का माध्यम भी है। कुंभ की इसी महत्ता के दृष्टिगत यूनेस्को द्वारा इसे ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। सहभागिता और संवाद की उसी प्राचीन परंपरा को प्रदेश की योगी सरकार नए सिरे से संयोजित करने का प्रयास कर रही है। इसी का नतीजा है कि इस बार योगी सरकार समावेशी महाकुंभ पर फोकस कर रही है, जहां सभी स्टेकहोल्डर्स से विमर्श करके सुविधाओं के साथ ही सभी तरह की समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयत्न किया जा रहा है।
महाकुंभ 2025 के आयोजन को और अधिक प्रभावी बनाने और उसमें सहभागिता बढ़ाने के लिए योगी सरकार कई अभिनव प्रयास कर रही है। कुंभ कॉन्क्लेव का आयोजन, पर्यटन विभाग की तरफ से महाकुंभ टूरिस्ट कॉन्क्लेव का आयोजन और उसी का विस्तार करते हुए अब अखाड़ों , साधु-संतो और तीर्थ पुरोहितों से निरंतर संवाद कायम रखते हुए इसे समावेशी बनाने का प्रयास चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने 6 अक्टूबर को प्रयागराज आगमन पर परेड ग्राउंड के गंगा पंडाल में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के सदस्यों, खाकचौक व्यवस्था समिति के संतों, आचार्य बाड़ा और दंडी बाड़ा के सदस्यों व प्रयागवाल सभा के सदस्यों के साथ महाकुंभ के आयोजन से जुड़े विषयों पर संवाद का जो सिलसिला शुरू किया उसे कुंभ मेला प्रशासन निरंतर आगे बढ़ा रहा है। प्रयागराज में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ -2025 से देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की अपेक्षाएं जुड़ी हुई हैं। योगी सरकार इसके लिए प्रशासनिक कुशलता, नियोजन और उनके कार्यान्वयन में सभी अपेक्षित सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं और संगठनों की भागीदारी भी सुनिश्चित करना चाहती है।