पहलगाम आतंकी हमला: कलमा ना सुनाने पर शुभम को मारी गोली, पत्नी से कहा गया – “सरकार को जाकर बता देना”

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पहलगाम आतंकी हमला
पहलगाम आतंकी हमला

कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले में कानपुर निवासी शुभम द्विवेदी की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा सिर्फ एक परिवार की खुशियों को उजाड़ देने वाला नहीं था, बल्कि देश की सुरक्षा और आतंकी तंत्र पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर गया है। एबीपी न्यूज़ से बातचीत में मृतक के परिजनों ने अपने दर्द और नाराजगी को साझा किया।

17 अप्रैल को शुभम अपने 11 सदस्यीय परिवार के साथ कश्मीर की सैर पर निकले थे। यह यात्रा खुशी के मौके पर आयोजित की गई थी—उनके जीजा का जन्मदिन मनाने के लिए। 18 अप्रैल को पूरे परिवार ने मिलकर जश्न मनाया, हंसी-ठिठोली की और फिर अगले दिनों में पहलगाम, गुलमर्ग जैसी वादियों का आनंद लेने निकल पड़े। वापसी की तारीख तय थी 23 अप्रैल, लेकिन उससे एक दिन पहले ही 22 अप्रैल को किस्मत ने वह क्रूर मोड़ लिया, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी।

हमले के दिन शुभम अपनी पत्नी के साथ पहलगाम में एक दुकान के बाहर बैठकर मैगी खा रहे थे। तभी एक अनजान शख्स उनके पास आया। पत्नी के अनुसार, उस व्यक्ति ने पहले शुभम का नाम पूछा, फिर कलमा पढ़ने के लिए कहा। जब शुभम ने उस व्यक्ति को वहां से जाने के लिए कहा, तो उसने बंदूक निकाली और बिल्कुल पास से शुभम के सिर में गोली मार दी। शुभम की पत्नी को गोली नहीं मारी गई, लेकिन उस आतंकी ने जाते-जाते यह कहकर चेतावनी दी—“सरकार को जाकर बता देना।”

इस खौफनाक हमले के समय परिवार के कुछ सदस्य टट्टू की सवारी कर ऊपरी इलाके में घूम रहे थे, जबकि बाकी लोग नीचे मौजूद थे। एक पल में माहौल जश्न से मातम में बदल गया। शुभम के चाचा, मनोज द्विवेदी ने बताया कि परिवार ने कश्मीर जाने का फैसला इसलिए किया था क्योंकि सरकार और मीडिया ने दावा किया था कि घाटी अब पहले की तरह असुरक्षित नहीं रही। लेकिन इस घटना ने वह भरोसा पूरी तरह तोड़ दिया।

मनोज द्विवेदी ने यह भी कहा कि आतंकवाद पर केवल भाषणों और आश्वासनों से कुछ नहीं होगा। सरकार को चाहिए कि वह कठोर और निर्णायक कदम उठाए ताकि आम नागरिक बिना डर के देश के किसी भी हिस्से में घूम सकें। उन्होंने कहा कि अगर अब भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, तो यह न केवल पीड़ित परिवारों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक विश्वासघात होगा।

शुभम की मौत सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं है—यह एक ऐसे देश के नागरिक की हत्या है जो अपने ही देश की धरती पर आज़ादी से घूमने गया था। अब यह जिम्मेदारी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की है कि इस नृशंस हत्या के दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाए और इस देश के नागरिकों को फिर से सुरक्षा का भरोसा मिल सके।