किसानों का दिल्ली कूच: एमएसपी पर कानून और कर्ज माफी सहित अन्य मांगों पर फिर गरमाया आंदोलन

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किसानों का दिल्ली कूच
किसानों का दिल्ली कूच

देशभर के किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। उनकी मांगें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाने, कर्ज माफी, और भूमि अधिग्रहण एक्ट में संशोधन को लेकर हैं। किसानों का यह आंदोलन कृषि क्षेत्र की समस्याओं और सरकार से उनके समाधान की मांगों को लेकर लंबे समय से जारी असंतोष का प्रतीक है।

किसानों की मुख्य मांगें

एमएसपी पर कानून:

किसान चाहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा दिया जाए, ताकि उनकी फसल के लिए एक सुनिश्चित कीमत तय हो सके। उनका कहना है कि मौजूदा MSP प्रणाली पर्याप्त नहीं है और इसका लाभ सभी किसानों तक नहीं पहुंचता।

कर्ज माफी:

किसानों पर बढ़ते कर्ज का दबाव उनकी आर्थिक स्थिति को लगातार कमजोर कर रहा है। वे सभी प्रकार के कृषि ऋण माफ करने की मांग कर रहे हैं, ताकि वे कर्ज के जाल से बाहर निकल सकें।

भूमि अधिग्रहण एक्ट में सुधार:

भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों को उचित मुआवजा और पुनर्वास की मांग की जा रही है। उनका आरोप है कि जमीन अधिग्रहण में पारदर्शिता की कमी है और किसान अपनी जमीन गंवाकर हाशिए पर चले जाते हैं।

फसल बीमा योजना में सुधार:

किसान चाहते हैं कि फसल बीमा योजना में पारदर्शिता और किसानों की भागीदारी बढ़ाई जाए। मौजूदा प्रणाली में अक्सर किसानों को उनके नुकसान की सही भरपाई नहीं मिलती।

दिल्ली कूच की वजह

किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार ने उनकी पिछली मांगों को गंभीरता से नहीं लिया। केंद्र द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बावजूद, MSP पर कानून और कर्ज माफी जैसे मुद्दे अब तक हल नहीं हुए हैं। यही कारण है कि देशभर के किसान दिल्ली में एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

सरकार का पक्ष

सरकार का कहना है कि वह किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। कृषि मंत्रालय ने फसल बीमा योजना, सिंचाई परियोजनाओं, और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। हालांकि, किसान संगठनों का मानना है कि ये कदम उनके वास्तविक मुद्दों का समाधान करने में नाकाफी हैं।

दिल्ली की तैयारियां

दिल्ली पुलिस और प्रशासन ने इस कूच को लेकर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति दी गई है, लेकिन हिंसा की आशंका के मद्देनजर सख्त निगरानी रखी जा रही है।

किसान आंदोलन का भविष्य

विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों की यह आवाज आने वाले समय में राजनीतिक हलचल बढ़ा सकती है। कृषि क्षेत्र के सुधार और किसानों की समस्याओं के समाधान के बिना यह असंतोष खत्म होना मुश्किल है।