Khelo India Youth Games 2025: मोक्ष की धरती गया में खेलों का समर, तैराकी से मलखम तक – बना बिहार का नया स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन

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गया में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का आयोजन
बिपार्ट परिसर और IIM गया में हुए खेलो इंडिया 2025 के आयोजन ने बिहार को दी नई पहचान

Khelo India Youth Games 2025: जिस गया को आजतक दुनिया मोक्ष, ध्यान और बुद्ध धर्म की भूमि के रूप में जानती थी, वही गया अब राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर भी चमकने लगा है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 (KIYG 2025) के तहत पहली बार गया में इतनी भव्य और बड़ी खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिसने यहां की पहचान को नई दिशा दी है।

IIM गया और BIPARD परिसर में हुआ आयोजन

इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए गया के दो प्रमुख स्थानों—बोधगया स्थित IIM परिसर और BIPARD परिसर को चुना गया, जहां तैराकी, खो-खो, थानगाट, योग, गतका, मलखम और कलारीपट्टु जैसे पारंपरिक और आधुनिक खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। 14 मई को इन खेलों का समापन हुआ, लेकिन खिलाड़ियों और दर्शकों के दिलों में गया की मेजबानी और खेल भावना की गूंज लंबे समय तक बनी रहेगी।

बिपार्ड का स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बना आयोजन का केंद्र

बिहार लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) परिसर का खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर इस आयोजन का मुख्य केंद्र रहा। यहां मौजूद ओलंपिक साइज का 30 मीटर लंबा स्वीमिंग पूल, जॉगिंग और साइक्लिंग ट्रैक, फुटबॉल ग्राउंड, वॉलीबॉल, लॉन टेनिस, बास्केटबॉल कोर्ट, जैसे आधुनिक खेल ढांचे ने सभी को प्रभावित किया।

इसके अलावा, बिपार्ड के परिसर में एक इंडोर खेल स्टेडियम भी मौजूद है, जिसका नाम मेजर ध्यानचंद खेल परिसर रखा गया है। इसमें बैडमिंटन, टेबल टेनिस, स्नूकर जैसे इंडोर खेलों के अतिरिक्त 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग रेंज भी मौजूद है। ये सभी भी उच्च गुणवत्ता वाले हैं। आने वाले कुछ महीने में यहां घुड़ सवारी की सुविधा भी बहाल कर दी जाएगी।

बोधगया IIM परिसर में भी रचा गया इतिहास

IIM गया के खुले और व्यवस्थित परिसर में जर्मन हैंगर लगाकर योग और मसखम जैसी प्रतियोगिताएं कराई गईं। बिना स्थायी ढांचे के भी जिस दक्षता से आयोजन हुआ, उसने आयोजन क्षमता का उदाहरण पेश किया।

खिलाड़ियों ने कहा – यह है नया बिहार!

बिहार की मेजबानी से प्रभावित खिलाड़ियों ने कहा कि बिहार अब खेलों के लिए भी जाना जाएगा। महाराष्ट्र, मणिपुर, कर्नाटक और पंजाब से आए खिलाड़ी गया के माहौल और व्यवस्था से गदगद दिखे। होटल व्यवसायियों, टैक्सी चालकों और स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि आर्थिक गतिविधियों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई।

गया, जिसे अब तक पूरी दुनिया में बौद्ध दर्शन, भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली, और पिंडदान जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए जाना जाता था, अब एक नए खेल अध्याय से भी जुड़ गया है। पहली बार गया में इतनी बड़ी स्तर की खेल प्रतियोगिता—खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025—का आयोजन हुआ, जिसने शहर को खेल के क्षेत्र में एक नई पहचान दी है।

हर साल नवंबर-दिसंबर में जहां दुनियाभर से बौद्ध भिक्षु, लामा और श्रद्धालु बोधगया में जुटते हैं, वहीं अब इस आयोजन ने दर्शकों और खिलाड़ियों का एक नया हुजूम भी इस ऐतिहासिक नगरी से जोड़ा है। खेल के माध्यम से शहर का सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य अब विस्तार लेता दिख रहा है।

पर्यटन से खेल पर्यटन की ओर बढ़ा गया

गया के वरिष्ठ होटल संचालक मृत्युंजय कुमार का कहना है कि, “अब तक हमारे होटल तीर्थ यात्रियों और विदेशी बौद्ध पर्यटकों से भरते थे, लेकिन खेलो इंडिया आयोजन के दौरान पहली बार युवा खिलाड़ियों, कोचों और स्पोर्ट्स टीमों का इतना बड़ा समूह यहां आया।”

होटल व्यवसायी सुरेंद्र कुमार ने भी कहा, “इस आयोजन से न केवल शहर को राष्ट्रीय पहचान मिली है, बल्कि अब पर्यटक ही नहीं, युवा वर्ग भी इस शहर से जुड़ रहा है। इससे हमारी लोकल इकॉनमी को मजबूती मिली है।”

स्थानीय कारोबारियों को मिला आर्थिक लाभ

खेलो इंडिया 2025 के आयोजन से होटल, रेस्टोरेंट, लोकल दुकानदार, टूर ऑपरेटर और टैक्सी चालक सभी की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। बुद्ध पूर्णिमा के दौरान मिलने वाली आमदनी इस बार दो से तीन गुना बढ़ी है। स्थानीय व्यापारी अब इस तरह के आयोजनों को नियमित रूप से करवाने की मांग कर रहे हैं, ताकि गया की पहचान केवल मोक्ष और अध्यात्म तक सीमित न रहे, बल्कि खेल और आयोजन की दृष्टि से भी यह शहर देश में अग्रणी बन सके।

बिहार ने पदक तालिका में भी दिखाई चमक

खासकर गतका में बिहार की टीम ने 9 पदक जीतकर खुद को राष्ट्रीय पटल पर स्थापित किया। योग और अन्य खेलों में भी बिहार को पदक मिले, जो राज्य की उभरती प्रतिभाओं का संकेत है।