CSK vs RCB in IPL: चेपॉक में RCB की हार की CSK के खिलाफ इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 के आगाज़ के साथ ही क्रिकेट प्रेमियों की नजरें फिर एक बार सबसे लोकप्रिय मुकाबलों में से एक — चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) बनाम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) — पर टिक गई हैं। इस बार यह टक्कर चेपॉक स्टेडियम में होने जा रही है, जहां का इतिहास बेंगलुरु के लिए बिल्कुल भी अनुकूल नहीं रहा है।
चेपॉक में CSK का अभेद किला
चेन्नई का होम ग्राउंड एम.ए. चिदंबरम स्टेडियम, जिसे चेपॉक के नाम से जाना जाता है, CSK के लिए एक मजबूत गढ़ साबित हुआ है। आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं — अब तक CSK और RCB के बीच कुल 33 मुकाबले हुए हैं, जिनमें से चेन्नई ने 21 बार बाज़ी मारी है, जबकि बेंगलुरु केवल 11 बार जीत दर्ज कर पाई है। वहीं 1 मुकाबला बेनतीजा रहा।
चेपॉक में RCB की स्थिति और भी खराब है। बेंगलुरु ने इस मैदान पर अब तक केवल एक ही मैच जीता है — वो भी IPL के पहले सीजन यानी साल 2008 में। उसके बाद से अब तक चेपॉक में RCB को हर बार हार का सामना करना पड़ा है।
पिछले चक्र में भी CSK की बढ़त
अगर पिछले चक्र यानी हालिया तीन सीजन की बात करें, तो भी चेन्नई ने बेंगलुरु पर अपना दबदबा बनाए रखा है। इस अवधि में दोनों टीमों के बीच 5 मुकाबले खेले गए, जिनमें से 3 में जीत CSK को मिली, जबकि RCB केवल दो मैचों में सफल रही।
क्या टूटेगा 17 सालों का सूखा?
बेंगलुरु की टीम के लिए यह मुकाबला केवल एक और मैच नहीं है, बल्कि यह उनकी प्रतिष्ठा और आत्मविश्वास से जुड़ा है। चेपॉक में मिली पिछली हारें और सालों से कायम सूखा अब एक बोझ बन चुका है। सवाल यह है कि क्या 17 साल पुराना ये सिलसिला इस बार टूटेगा?
RCB के पास नया कप्तान (रजत पाटीदार) है और साथ ही इस बार कई मजबूत खिलाड़ी हैं, लेकिन चेन्नई के पास न केवल घरेलू मैदान का लाभ है, बल्कि वहां की पिच और परिस्थितियों को समझने का अनुभव भी है। MS धोनी के अनुभव और ऋतुराज गायकवाड की कप्तानी में CSK ने हमेशा चेपॉक को अपनी ताकत में बदला है।
रणनीति और आत्मविश्वास की जंग
RCB के लिए यह जरूरी होगा कि वो शुरू से ही दबाव में ना आए और गेंदबाजों का सही इस्तेमाल करे, क्योंकि चेपॉक की पिच स्पिनर्स के लिए अनुकूल मानी जाती है। वहीं CSK अपने घरेलू दर्शकों के सामने हमेशा अलग ऊर्जा के साथ खेलती है।
दोनों टीमों के बीच यह मुकाबला ना सिर्फ अंकों के लिहाज़ से अहम होगा, बल्कि यह बेंगलुरु के लिए मानसिक बाधा को तोड़ने का भी मौका हो सकता है।
इतिहास और आंकड़ों के अनुसार चेन्नई सुपर किंग्स का पलड़ा भारी है, लेकिन क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। अगर RCB इस बार अपनी रणनीति को सटीक तरीके से अमल में लाए और दबाव को संभाल ले, तो हो सकता है कि चेपॉक में उसका 17 सालों का सूखा खत्म हो जाए।
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