हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है, और हर एकादशी को भगवान विष्णु की उपासना का दिन माना जाता है। साल 2024 में सफला एकादशी, जो साल की आखिरी एकादशी होगी, विशेष रूप से पुण्यदायी मानी जाती है। यह एकादशी न केवल आत्मा की शुद्धि का पर्व है, बल्कि इसे सफलता, समृद्धि और शांति का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का संचार होता है। आइए जानते हैं सफला एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, और इसे विधि-विधान से कैसे मनाया जाता है।
सफला एकादशी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त
सफला एकादशी 2024 में 30 दिसंबर, सोमवार को पड़ रही है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और इस दिन व्रत एवं पूजा से भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी तिथि आरंभ: 29 दिसंबर 2024 को रात 11:30 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 30 दिसंबर 2024 को रात 10:45 बजे
व्रत पारण का समय: 31 दिसंबर 2024 को सुबह 7:00 बजे से 9:15 बजे तक
इस शुभ समय में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का पारण करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
सफला एकादशी व्रत का महत्त्व
सफला एकादशी को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सफला एकादशी का व्रत उन लोगों के लिए भी खास है, जो अपने जीवन में सफलता और समृद्धि की कामना करते हैं। इस व्रत का पालन करने से न केवल जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
सफला एकादशी पूजन विधि
सफला एकादशी का व्रत और पूजन पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करना चाहिए। यहां बताया गया है कि इसे कैसे विधिपूर्वक किया जा सकता है:
व्रत का संकल्प लें:
एकादशी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की पूजा करने से पहले व्रत का संकल्प लें और दिनभर उपवास रखने का प्रण करें।
भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें:
पूजा स्थान को साफ करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
पूजन सामग्री तैयार करें:
पूजा के लिए फल, फूल, तुलसी के पत्ते, दीपक, धूप, पंचामृत, चंदन और मिठाई का उपयोग करें। भगवान विष्णु को पीले फूल और तुलसी के पत्ते विशेष रूप से प्रिय हैं।
पूजा विधि:
- दीप प्रज्वलित करें और भगवान विष्णु की आरती करें।
- भगवान को पंचामृत और भोग अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- रात्रि जागरण करें:
- सफला एकादशी की रात भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और उनकी महिमा का गान करें। यह रात्रि जागरण व्रत को पूर्ण करता है।
व्रत पारण:
द्वादशी तिथि के दिन सुबह पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का पारण करें। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
सफला एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
सफला एकादशी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रपुर नामक नगर के राजा महिष्मत का बड़ा पुत्र लुंपक अत्यंत पापी था। वह चोरी और अन्य दुष्कर्मों में लिप्त रहता था। उसके पापों से क्रोधित होकर राजा ने उसे राज्य से बाहर निकाल दिया।
एक बार लुंपक ने सफला एकादशी के दिन अनजाने में उपवास कर लिया और भगवान विष्णु की पूजा की। इससे उसके सभी पाप धुल गए, और भगवान विष्णु की कृपा से वह अपने पिता के राज्य का उत्तराधिकारी बना।
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