रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस पर्व को भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह भाई -बहन के रिश्ते का त्योहार है। इस दिन बहन अपने भाई की सुरक्षा लंबी उम्र और तरक्की के लिए उसकी कलाई पर राखी बांधती हैं। भाई अपनी बहनों को उम्र भर रक्षा का वचन देता है और इसके साथ ही रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत बनाने के लिए अपनी बहन को पैसे या फिर कोई उपहार भेंट करता है।
इससे जुड़ी मान्यता और पौराणिक कथा
रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कहां से हुई वैसे तो इनकी कई मान्यता और पौराणिक कथाएं हैं पर महाभारत काल से एक बहुत ही महत्वपूर्ण कथा रक्षाबंधन को लेकर प्रचलन में है। जब भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो उसे दौरान भगवान श्री कृष्ण का हाथ घायल हो गया था और तब माता द्रौपदी ने अपनी साड़ी को फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली में बांधा था। बस उसी समय भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को इसके बदले में रक्षा करने का वचन दिया था। जिसके बाद जब द्रौपदी का चीर हरण होने पर भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की मान-सम्मान की रक्षा की थी और भाई का फर्ज निभाया था।
शुभ मुहूर्त 2024
इस साल रक्षाबंधन (19 अगस्त 2024) के दिन भद्रा रहेगी। भद्रा सुबह 5 बजकर 53 मिनट से आरंभ होकर दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। भद्रा काल में राखी बांधने की मनाही होती है।
राखी बांधने की सही विधि
सबसे पहले थाली में रोली, अक्षत मिठाई और राखी रख लें।
भाई को तिलक करें और चावल लगाएं।
अब भाई के दाहिने कलाई पर राखी बांधें और फिर उसे मिठाई खिलाएं।
भाई की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए आरती उतारें। इस दौरान भाई को बहनों के चरण स्पर्श करने चाहिए। ऐसा करना बेहद शुभ होता है।
रक्षा बंधन का मंत्र
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल:
तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि ,रक्षे माचल माचल: