Onam: दक्षिण भारत के राज्य केरल की पहचान या कहें प्रमुख त्योहार ओणम की भी धूम है। मलयाली भाषा में ओणम को थिरुवोणम भी कहते हैं, करीब 10 दिनों तक चलने वाला यह त्योहार 20 अगस्त से शुरू हुआ था।ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज लिए मनाया जाता है।ऐसी मान्यता है कि केरल में महाबलि नाम का एक असुर राजा था।
उसके आदर सत्कार में ही ओणम त्योहार मनाया जाता है.।ये पर्व भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी समर्पित है। मान्यताओं के अनुसार ओणम का त्योहार थिरुवोणम् नामक इसी नक्षत्र में मनाया जाता है।
Onam: जानिए ओणम का महत्व
Onam: ओणम का पर्व चिंगम माह में मनाया जाता है।चिंगम को मलयालम में लोग वर्ष का पहला माह मानते हैं। दूसरी तरफ हिंदू कैलेंडर में यह अगस्त या सिंतबर का माह होता है। इस दिन का हर केरलवासी को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है।
पूरे 10 दिनों तक लोग अपने घरों को फूलों से सजाकर रखते हैं।इसके साथ ही पूरे विधि-विधान के साथ भगवान श्री हरि विष्णु जी और महाबली की पूजा भी होती है।ओणम के दिन सुबह लोग मंदिर जाकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।नाश्ते में केला और पापड़ आदि खाया जाता है।
इसके बाद लोग ओणम पुष्पकालीन या पकलम नामक पकवान पकाया जाता है।बात अगर ओणम पर्व की हो और नौका दौड़ का जिक्र न हो। ऐसा हो ही नहीं सकता।इस मौके पर केरल में नौका दौड़, भैंस और बैल दौड़ आदि तरह की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
Onam: ओणम के 10 दिन क्यों हैं बेहद खास
- पहला दिन (अथम)- ओणम के पहले दिन को अथम कहते हैं। इस दिन सुबह स्नान के बाद मंदिर जाकर भगवान की पूजा की जाती है। नाशते में केला पापड़ आदि खाया जाता है। इसके बाद लोग पुष्पकालीन या पकलम बनाते हैं।
- दूसरा दिन (चिथिरा)- दूसरे दिन को चिथिरा कहते हैं। महिलाएं पुष्पकालीन में नए फूलों को जोड़ने का काम करती हैं।ये सभी फूल पुरुष लाते हैं।
- तीसरा दिन (विसाकम)- ओणम का तीसरा दिन यानी विसाकम का विशेष महत्व होता है। इस दिन थिरुवोणम यानी ओणम के 10वें दिन के लिए खरीदारियां की जाती हैं।
- चौथा दिन (विसाकम)- विसाकम के दिन कई जगहों पर फूलों का कालीन बनाने की प्रतियोगिताएं होती हैं।10वें दिन के लिए अचार और आलू चिप्स जैसी चीजें तैयार की जाती हैं।
- पांचवां दिन (अनिजाम)- पांचवें यानी अनिजाम के दिन नौका दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसे वल्लमकली के नाम से जाना जाता है।
- छठा दिन (थिक्रेता)- इस दिन को थिक्रेता कहते हैं। इस दिन विशेष प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। दोस्तों और रिश्तेदारों का इस महापर्व की बधाई भी दी जाती है।
- सातवां दिन (मूलम)- ओणम का सातवां दिन बहुत खास होता है। इस दिन बाजार तरह-तरह के सामान और खाद्य पदार्थों से सजे रहते हैं। लोग घरों में खास पकवान खाते हैं।
- आठवां दिन (पूरादम)- आठवें दिन लोग मिट्टी से पिरामिड के आकार की मूर्तियों का निर्माण करते हैं। इन मूर्तियों को मां कहकर बुलाया जाता है।
- नौवां दिन (उथिरादम)- इस दिन को प्रथम ओणम कहा जाता है। यह दिन इसलिए भी खास होता है, क्योंकि इस दिन लोग राजा महाबलि के आने का इंतजार करते हैं।
- दसवां दिन (थिरुवोणम)- ओणम का 10वां दिन सबसे ज्यादा खास होता है।राजा बलि का धरती पर आगमन होता है।इस दिन पुष्प कालीन बनाई जाती है।थाली में कई तरह के पकवान सजाए जाते हैं।यह दिन दूसरा ओणम के नाम से भी प्रसिद्ध है।
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